49 Years of Emergency:  25 जून 1975 की स्याह रात, जब आपातकाल की घोषणा की गई, उस रात से ही पुलिस ने विरोधी दलों के नेताओं, बच्चों पर जो जुल्म किए, उन्हें याद कर लोकतंत्र सेनानी अब भी सिहर उठते हैं। शहर में 150 से ज्यादा लोकतंत्र सेनानी और हजारों लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 21 महीने के आपातकाल में पुलिस के जुल्म झेले और जेल में यातनाएं सहीं। अमर उजाला के पन्नों में आपातकाल की हर खबर दर्ज है। 25 जून को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आपातकाल लगाने से लेकर 1977 में हटने तक हर खबर अमर उजाला के अंकों में नजर आती है। लोकतंत्र सेनानी और अब विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने बताया कि जाट हाउस से निकलते ही लोहामंडी थाने की पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया। वह 15 साल के थे। जेल में पिटाई और केवल सूखी रोटी मिलती थी। दिनभर प्यासा रखा जाता था कि मनोबल तोड़ा जा सके।

 




कई दिनों के बाद वह जेल से रिहा हुए। आपातकाल का एक-एक दिन उनके जेहन में बसा है। लोकतंत्र सेनानी विजय गोयल और उनके छोटे भाई संजय गोयल पर भी जुल्म हुआ। संजय गोयल तब सेंट जोंस इंटर कॉलेज के सातवीं के छात्र थे। पुलिस ने उन्हें पकड़ा और डेढ़ महीने जेल में रखा। वह तब 12 साल के थे और सबसे छोटे आंदोलनकारी थे। उनके बड़े भाई और संघ के स्वयंसेवक विजय गोयल बताते हैं कि इंदिरा गांधी के खिलाफ नारे लगाने पर पुलिस ऐसी यातनाएं देती थी कि रूह कांप जाए। उन्होंने जेल से ही परीक्षा दी थी।


अमर उजाला ने खाली रखा था संपादकीय

अमर उजाला के पुराने पन्नों में दर्ज है कि तत्कालीन सरकार ने आपातकाल में जब प्रेस पर सेंसरशिप और पाबंदियां लगाईं तो अमर उजाला ने अपने संपादकीय की जगह खाली छोड़कर विरोध दर्ज कराया था। आपातकाल के समर्थन में पूरी सरकार के मंत्री जुट गए थे, जो जगह-जगह जाकर आपातकाल की खूबियां गिना रहे थे।

 


सपा जवाब दे, आपातकाल सही या गलत

विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल ने आपातकाल के मुद्दे पर सपा से सवाल पूछा है कि आपातकाल लगाने वाली कांग्रेस से हाथ मिलाने वाली समाजवादी पार्टी बताए कि 1975 में लगा आपातकाल सही था या गलत। मुलायम सिंह यादव को जेल भेजने का फैसला सही था या गलत। देश को मुलायम सिंह से क्या खतरा था?


शाह आयोग का किया था गठन

जनता सरकार आने पर मार्च 1977 में आपातकाल हटाने की घोषणा नई सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने की थी। 21 महीने के आपातकाल में सरकारी मशीनरी ने जो दुरुपयोग किए, उनकी जानकारी के लिए तत्कालीन सरकार ने शाह आयोग का गठन 20 मई 1977 को किया। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायमूर्ति जेसी शाह को आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।




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