– अंतिम दिन देर रात तक चलीं बिलाल चिश्ती की कव्वालियां

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अमर उजाला ब्यूरो

दतिया (झांसी)। दावरपीर के उर्स में बृहस्पतिवार की शाम मगरिब की नमाज के बाद कुल की छींटों के साथ दुआओं का दौर चला। लोगों की खुशहाली और और देश में अमन की दुआ भी मांगी गई। उर्स के अंतिम दिन कव्वाल बिलाल चिश्ती ने अपनी आवाज का जादू बिखेरा। देर रात तक कव्वालियों से मेला गुलजार रहा।

मध्य प्रदेश के दतिया में आयोजित तीन दिवसीय उर्स बृहस्पतिवार को संपन्न हुआ। सुबह फजर की नमाज के बाद शुरू हुई हाजिरी का दौर रात इशा की नमाज तक चला। अपराह्न 3 बजे से कव्वालियां शुरू हुई और देर रात तक चलीं। अकीदतमंद दिनभर गुलपोशी और चादरपोशी के लिए आते रहे। मेले में लगे झूलों का बच्चों ने खूब लुत्फ लिया। यहां सजी दुकानों पर भी लोगों की भीड़ रही।

अंतिम दिन करीब 30 हजार लोग जियारत के लिए पहुंचे। उर्स कमेटी के अनुसार तीन दिन में करीब 80 हजार जायरीन दरगाह में जियारत के लिए पहुंचे। उर्स के सफल आयोजन के लिए कमेटी ने महफूज खान, अनस खान, असद खान, रमीज, मम्मू किलेदार, अखलाक, बंटी, अप्पन खान, अकरम खान, रफीक खान, रईस, फिरोज, अनुज उपाध्याय, समीर खान, बत्तू पठान, आदिल आदि कमेटी सदस्यों और युवाओं का सम्मान किया।

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दावरपीर का उर्स सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक है। सभी धर्मों के लोग आस्था के साथ आते हैं। दतिया ही नहीं दूर दराज के लोग भी यहां श्रद्धा से हाजिरी देते हैं। – मूलु उपाध्याय, अध्यक्ष उर्स कमेटी

बाबा दावरपीर के आस्ताने की बड़ी मान्यता है। काफी भव्य मेला लगता है, कव्वालियां सुनने के लिए लोग यहां घंटों बैठे रहते हैं। इस बार भी उर्स काफी अच्छा रहा। – नोमान नुमान, मदहा, हमीरपुर



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