
गिरफ्तार संजय शेरपुरिया।
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अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में गिरफ्तार कथित ठग संजय प्रकाश राय शेरपुरिया को 30 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अदालत ने उसे लखनऊ भेजने का भी निर्देश दिया। शेरपुरिया की प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत समाप्त होने के बाद उसे पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक की अदालत में पेश किया गया था।
ईडी ने शेरपुरिया को लखनऊ से गिरफ्तार किया था, जहां उसके खिलाफ मुख्य मामला चल रहा है। ईडी ने उसके खिलाफ आरोप लगाया है कि उसने डालमिया परिवार कार्यालय ट्रस्ट से दान के रूप में मिले धन एवं गुजरात में संपत्ति की बिक्री से मिले धन की हेराफेरी की। ईडी के मुताबिक, मामले में चांदनी चौक के जौहरी के साथ हुए लेन-देन की जांच भी की जानी है।
ईडी ने कहा था कि पूछताछ से पता चला है कि 10 करोड़ रुपये की नकदी को वैध बनाया गया है। यह राशि शुरू में छह करोड़ रुपये आंकी गई थी। उसने कुछ लोगों के माध्यम से बैंक में राशि जमा की। अदालत ने 2 जून को आरोपी को सात दिनों के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया था। ईडी ने लखनऊ जेल में पूछताछ के बाद शेरपुरिया को गिरफ्तार किया था। केंद्रीय एजेंसी की गिरफ्तारी से पहले शेरपुरिया को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
ED की नाकामी
महाठग संजय राय शेरपुरिया से बीते 13 दिनों से पूछताछ कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी उससे सच उगलवा पाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो शेरपुरिया से गुजरात में बेची गई संपत्तियों से मिली रकम को निवेश के बारे में हो रही पूछताछ बेनतीजा साबित हो रही है। अधिकारियों को शक है कि गुजरात में शेरपुरिया ने करीब 400 करोड़ रुपये की हेराफेरी की है। बैंकों से लिए गए कर्ज के जरिए जुटाई गई संपत्तियों को बेचने के बाद उसे विदेश में निवेश किया गया है।
बता दें कि संजय राय शेरपुरिया ने गुजरात में पांच कंपनियां बनाने के बाद बैंकों के कंर्सोटियम से करीब 400 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। बाद में उसने इस रकम से खरीदी गई संपत्तियों को बेचना शुरू कर दिया और खुद को दिवालिया घोषित कराने की कवायद में जुट गया। अपना कारोबार समेटने के बाद वह दिल्ली आ गया और गाजीपुर से चुनाव लड़ने की तैयारी करने लगा।