Uttar Pradesh government prepared plan to control the dengue.

प्रतीकात्मक तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया

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उत्तर प्रदेश में कोविड की तर्ज पर डेंगू और मलेरिया रोकने के लिए अभियान शुरू किया गया है। जिस गांव में डेंगू के दो या इससे अधिक मरीज मिलेंगे, वहां बुखार से पीड़ित लोगों की स्क्रीनिंग करके लक्षण वालों की जांच कराई जाएगी। इसके लिए टीमें गठित की गई हैं। वहीं, पूरे गांव में डेंगू व मलेरिया रोधी अभियान चलाया जाएगा। इस संबंध में सभी मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया गया है।

डेंगू और मलेरिया के मरीजों का शत प्रतिशत पंजीकरण करने का निर्देश दिया गया है। सरकारी के साथ निजी पैथोलॉजी को भी पोर्टल पर मरीजों की संख्या दर्ज करना अनिवार्य किया गया है। पिछले साल 11 सितंबर तक डेंगू के 1,085 मरीज मिले थे और तीन की मौत हुई थी। इस वर्ष मरीजों की संख्या बढ़कर चार गुनी हो गई है। चार सितंबर तक 4,163 मरीज पंजीकृत किए गए। इनमें से पांच की मौत हो गई है।

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इसी तरह मलेरिया के पिछले साल 2,149 मरीजों के सापेक्ष इस साल 4,990 मरीज मिले हैं। चिकनगुनिया के 192, कालाजार के आठ, जापानी इन्सेफेलाइटिस के 22 और एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) को 495 मरीज मिले हैं। जबकि पिछले साल 11 सितंबर तक एईएस के 511 मरीज मिले थे और 12 की मौत हुई थी। इस वर्ष अभी तक सिर्फ दो मरीजों की मौत हुई है।

सर्वाधिक मरीज वाले जिले

डेंगू के सर्वाधिक 482 मरीज गौतमबुद्धनगर जिले में मिले हैं। गाजियाबाद में 404, लखनऊ में 334, कानपुर नगर में 289, मेरठ में 231, मुरादाबाद में 158, अलीगढ़ में 129 व वाराणसी में 105 मरीज मिले हैं। अन्य जिलों में मरीजों की संख्या 100 से कम है। डेंगू से गौतमबुद्धनगर में तीन और गाजियाबाद व फिरोजाबाद में एक-एक मरीज की मौत हुई है। वहीं, हरदोई में 4,998, बरेली में 1,481, बदायूं में 805, शाहजहांपुर में 309, सीतापुर में 259, पीलीभीत में 189, संभल में 139 और कानपुर देहात में 102 मलेरिया के मरीज मिले हैं।

मुख्यालय से ली जा रही जानकारी

संयुक्त निदेशक (डेंगू) डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि पिछले साल अक्तूबर के बाद ज्यादा बारिश हुई थी। जबकि इस बार शुरुआती दौर में ही बारिश हो गई, फिर तेज गर्मी रही। डेंगू व मलेरिया के लिए मौसम अनुकूल रहा। दूसरी तरफ सरकारी व निजी सभी पैथोलॉजी द्वारा मरीजों का पंजीयन किया जा रहा है। इससे मरीजों की संख्या ज्यादा दिख रही है। इन बीमारियों की रोकथाम के लिए कोविड मॉडल को अपनाया गया है। मुख्यालय से मरीजों के परिजनों से बातचीत करके स्थिति की जानकारी ली जा रही है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव, चिकित्सा पार्थ सारथी सेन शर्मा का कहना है कि डेंगू, मलेरिया सहित अन्य बीमारियों की रोकथाम के लिए उठाए गए कदमों का असर दिख रहा है। मरीजों को चिह्नित करने के साथ ही उनके उपचार की पुख्ता व्यवस्था की गई है। इसकी रोजाना निगरानी की जा रही है।



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