
श्री गुरू वशिष्ठ न्यास का श्री राम दरबार कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य
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श्री गुरु वशिष्ठ न्यास की ओर से दो दिवसीय परिचर्चा कार्यक्रम का शनिवार को उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि श्री गुरु वशिष्ठ जी के शिष्य भगवान श्रीराम 500 वर्षों के प्रयासों के बाद पूरी मर्यादा के साथ अपने धाम में प्राण प्रतिष्ठित हुए हैं। वर्ष 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तहखाने में पूजा बंद करवा दी थी। हमने मर्यादा का पालन किया और कोर्ट ने आदेश पर पूजा अर्चना शुरू हो गई है।
उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वर्ष 2017 में हमारी सरकार बनी। हम लोग चाहते तो पूजा शुरू करवा सकते थे। शिवभक्तों ने भी संयम दिखाया और न्यायालय की शरण में गए। कोर्ट से आदेश लेकर आए और अपने महादेव की पूजा अर्चना शुरू की। इससे हमारा ही नहीं सनातन धर्म में आस्था रखने वाले विश्व के सभी लोगों को एक समान आनंद की प्राप्ति हुई। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि 22 जनवरी को जब प्रधानमंत्री ने अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की तो सैकड़ों कारसेवकों का बलिदान सफल हुआ। उद्घाटन सत्र में न्यास के अध्यक्ष प्रमोद मिश्र ने कार्यक्रम की रूप रेखा की जानकारी दी।
इसके बाद पहले सत्र की शुरूआत की गई। पहले सत्र में विषय था भारतीय यत्र संतति। कार्यक्रम में जेएनयू के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने कहा कि भारत 1947 में नहीं बना बल्कि यह हजारों वर्षों पहले बनी सांस्कृतिक और भौगोलिक संरचना है। इसका वर्णन वेदों और पुराणों में भी मिलता है। जो लोग यह मानते हैं कि भारत 1947 में बना वह दोबारा इसके 600 टुकड़े करना चाहते हैं। उन्हांने कहा कि आज भले ही लौह पुरुष नहीं हैं, लेकिन उनके मानने वाले छोटे सरदार भारत का नेतृत्व कर रहे हैं। वहीं, वरिष्ठ विचारक और लेखक अनी गनात्रा ने कहा कि हम भारतीयों को वैचारिक और बौद्धिक रूप से हतोत्साहित करने की कोशिश की गई। हमारी पहचान को मिटाने की बहुत कोशिश की गई लेकिन, यह मिटने वाली नहीं है। हम सनातन को मानने वाले लोग हैं। लेखक पंकज सक्सेना ने कहा कि देश में अलग अलग संस्कृतियां, बोली व भाषाएं हैं, लेकिन सनातन धर्म के मंदिर पूरे भारत को एक साथ जोड़ते हैं।
महिला सशक्तिकरण, मीडिया और सावरकर पर हुई चर्चा
दूसरे सत्र का विषय था यत्र नार्यस्तु पूज्यंते रमंते तत्र देवता। इस सत्र का संचालन टीवी प्रजेंटर ऋचा अनिरुद्ध ने किया। सत्र में विचारक स्वाति गोयल शर्मा ने कहा कि फिल्मों ने समाज का काफी नुकसान किया और महिलाओं को अपमानित किया। लेखक शेफाली वैद्य ने कहा कि मुगल और ब्रिटिश औपनिवेशवाद के कारण हमारे समाज को हमेशा बदनाम करने की कोशिश की गई। संघ विचारक और संस्कृत के जानकार डॉ. विवेक कौशिक ने कहा कि नासमझी में या जानबूझकर मनु स्मृति, पुराणों और वेदों में स्त्रियों की दशा को दयनीय बताया गया है। उन्होंने बताया कि यह केवल और केवल संस्कृत को ठीक से ना जानने के कारण है। तीसरे सत्र में मीडिया को खलनायक बनाने का षड्यंत्र विषय पर चर्चा हुई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि आज का दौर पत्रकारिता के लिहाज से बेहतर है। चौथे सत्र में सावरकर का भारत दर्शन विषय पर वीर सावरकर के पौत्र और लेखक रंजीत ने कहा कि संगीत में नौ रस होते हैं। दसवाँ रस देशभक्ति है, यह सावरकर ने बताया है। इस विषय पर लेखक प्रखर श्रीवास्तव, लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. सौरभ मालवीय और श्री गुरु वशिष्ठ न्यास के अध्यक्ष ने भी अपने विचार रखे।