Dev Diwali: Lights lit up with blazing pyres, the city illuminated with twinkling lamps.

धधकती चिताओं के साथ जल उठे दीप से दीप
– फोटो : संवाद

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राग और विराग… जीवन और मृत्यु…। शिव की नगरी में दोनों हर पल साथ-साथ रहते हैं। महाश्मशान पर बाबा विश्वनाथ अपने भक्तों को तारक मंत्र देते हैं। यत्र मरणं मंगलम की कामना वाली काशी के महाश्मशान में भी देव दीपावली का उत्सव जीवंत हुआ। धधकती चिताओं के बीच टिमटिमाते दीयों ने देश ही नहीं दुनिया को मंगलकामना का संदेश दिया।

सोमवार की शाम को काशी के घाटों की भव्यता देखते ही बन रही थी। काशी के 85 घाटों पर मां जाह्नवी के समानांतर दीपमालिकाओं की अनंत शृंखला प्रवाहित हो रही थी। वहीं, दो घाट ऐसे भी थे जो विराग के साथ राग का संदेश दे रहे थे। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर चिताएं धधक रही थीं। गोधूली बेला में जैसे ही दूसरे घाट और गंगा पार रेती पर दीप जलने लगे महाश्मशान भी दीपमालिकाओं से सज गए। बाबा मशाननाथ मंदिर में पहला दीप जलाने के बाद श्रद्धालुओं ने घाट के किनारे भी दीप जलाए। मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर अघोरियों ने चिता के आसपास एकत्र होकर अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ के विजय उत्सव का जश्न मनाया। एक तरफ चिता धधक रही थी तो वहीं दूसरी ओर दीप टिमटिमा रहे थे। घाट के मंदिरों में विद्युत झालरों से सजावट की गई थी। हरिश्चंद्र घाट पर जगह-जगह भूत-पिशाच के पुतलों को सजाया गया था। घाट पर आने वालों के लिए लगाए गए भूत पिशाच के पुतले आकर्षण का केंद्र बने हुए थे। श्रद्धालुओं ने श्मशान पर भी दीपदान किया। मणिकर्णिका घाट पर चल रही रामलीला के पात्रों ने भी घाट और मंदिरों में दीप जलाए। श्रद्धालुओं की भीड़ का आलम यह था सिंधिया घाट से मणिकर्णिका से लेकर ललिता घाट तक अनवरत कतार लगी थी। वहीं, हरिश्चंद्र घाट से लेकर केदारघाट के आगे तक श्रद्धालुओं की भीड़ रही।



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