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ऊंचाहार क्षेत्र में पूर्णिमा पर गंगा स्नान करते श्रद्धालु। – फोटो : संवाद
रायबरेली। पौष माह की पूर्णिमा पर सोमवार भोर से ही डलमऊ, ऊंचाहार, गेगासो के गंगा घाटों पर स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ी। कड़ाके की सर्दी के बाद भी श्रद्धा और भक्ति भारी रही। घने कोहरे के बीच लोगों ने हर हर गंगे, जय शिव शंभू के जयकारे लगाकर गंगा में डुबकी लगाई।
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डलमऊ में पौष माह की पूर्णिमा पर सोमवार को सड़क घाट, वीआईपी, रानी शिवाला, पक्का, संकट मोचन, पथवारी देवी, दीनशाह गौरा, महावीरन सहित सभी 16 गंगा घाटों पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। गंगा स्नान के बाद लोगों ने तट पर स्थित विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिरों ने पूजन अर्चन किया और तीर्थ पुरोहितों को यथा शक्ति दृव्य, वस्त्र, अन्नदान व खिचड़ी दान देकर जीवन के कल्याण की याचना की।
सनातन धर्म बड़ा मठ के महामंडलेश्वर स्वामी देवेंद्रानंद गिरि ने पौष की पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कल्पवास के दौरान संतजन एकांत में निवास कर साधना करते हैं। कल्पवास का विधान प्राचीन काल से चला आ रहा है। ऊंचाहार प्रतिनिधि के अनुसार पौष पूर्णिमा पर सोमवार को ऊंचाहार, जगतपुर दीनशाहगौरा, रोहनिया, सलोन, राही, डीह, छतोह सहित अमेठी व प्रतापगढ़ जिले के लोग गंगा घाट पर पहुंचे। भोर चार बजे से स्नान शुरू हो गया। घाट पर लगे मेले में महिलाओं ने शृंगार का सामान खरीदा।
इसके पहले रविवार शाम चतुर्दशी पर मां गंगा गोकर्ण जन कल्याण सेवा समिति की ओर से गंगा आरती व दीपदान किया गया। समिति के सचिव जितेंद्र द्विवेदी ने बताया कि पौष पूर्णिमा पर लगभग पांच हजार श्रद्धालुओं ने स्नान दान किया है। इस दौरान सुरक्षा के बेहतर इंतजाम किए गए थे।
लालगंज प्रतिनिधि के अनुसार गर्ग ऋषि की तपोस्थली गेगासो गंगा तट पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा के किनारे मंदिर में पहुंच कर पूजा अर्चन कर अपने तीर्थ पुरोहितों को दान दक्षिणा देकर आशीर्वाद लिया। प्रशासन की ओर से अलाव व अन्य इंतजाम किए गए थे।