कासगंज। शारदीय नवरात्र पर्व बृहस्पतिवार से शुरू होने जा रहे हैं। भक्त नौ दिन तक शक्ति की भक्ति में लीन रहेंगे। बुधवार को देवी मंदिरों में दिन भर सफाई, सजावट सहित पूजा-अर्चना के लिए तैयारियां पूरी करने की सिलसिला चलता रहा। वहीं, भक्तों ने बाजार से माता की प्रतिमा और पोशाक सहित अन्य पूजा सामग्री आदि की खरीदारी की। पहले दिन माता के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी।नवरात्र पर्व मनाने के लिए भक्तों के उत्साह का अतिरेक देखते ही बन रहा है। देवी मंदिरों की सुबह से ही सफाई का कार्य शुरू हो गया। शाम के समय मंदिरों की सजावट शुरू हो गई। इसके साथ ही भक्तों की भीड़ को देखते हुए अन्य व्यवस्थाएं भी मंदिरों पर की गई। मंदिरों के आसपास पूजा सामग्री विक्रेताओं ने भी अपनी दुकानों को सजा लिया। इन पर पूजा सामग्री, चुनरी, नारियल सहित अन्य सामान की व्यवस्था की गई है।माता चामुंडा मंदिर, शांतापुरी स्थित माता काली मंदिर पर पर्व को देखते हुए विशेष इंतजाम किए गए हैं। इसके अलावा गली मोहल्लों में स्थापित देवी मंदिरों में भी व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके साथ ही भक्तों ने माता के लिए बाजार से नई पोशाक, मूर्तियां, सजावट के सामान आदि की खरीदारी की।

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घट स्थापना मुहूर्त

शुभ मुहूर्त -सुबह 6:15 बजे से सुबह 7:22 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त -सुबह 11:46 बजे से दोपहर 12:33 बजे तक

ऐसे करें घट की स्थापना :

घट की स्थापना के लिए घर के मंदिर के निकट, ईशान कोण अथवा उत्तर पूर्व दिशा का चयन कर ले। स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें। जमीन पर मिट्टी की एक अथवा दो परत बिछा ले। इस परत पर जौ बिछा लें। इसके बाद मिट्टी डाल दें। कलश पर रोली से स्वास्तिक का चिन्ह बनाकर गले में तीन धागे वाली मौली लपेटें। कलश स्थापित किए जाने वाली भूमि पर कुमकुम या रोली से अष्टदल कमल बना लें। इसके बाद कलश की स्थापना करें।उसमें गंगा जल भरने के बाद इसमें इत्र, सुपारी, दुर्वा आदि डाल दें। कलश के चारों ओर आम के पत्ते बांधकर उस पर नारियल रख दें।

चौकी की स्थापना :

नवरात्र के प्रथम दिन एक लकड़ी की चौकी लेकर उसे गंगाजल से पवित्र कर लेना चाहिए। इसके ऊपर सुंदर लाल वस्त्र बिछाना चाहिए। चौकी को कलश के दायीं ओर रखना चाहिए। उसके बाद मां भगवती की मूर्ति अथवा नवदुर्गा का फ्रेम किया हुआ फोटो स्थापित करना चाहिए। मां दुर्गा के लिए लाल चुनरी का ही प्रयोग करना चाहिए। मां दुर्गा से प्रार्थना करें हे मां दुर्गा आप नौ दिन के लिए इस चौकी में विराजिए। उसके बाद सबसे पहले माता को दीप, धूप, पुष्प, फूल माला, इत्र फल, मिठाई चढ़ा कर पूजा करना चाहिए। चौकी पर माता की अखंड ज्योति भी स्थापित करें।



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