
झांसी के अमर उजाला कार्यालय में रविवार को हुए संवाद में कई संगठनों के पदाधिकारियों ने महंगी होती शिक्षा पर चिंता जताई। निजी स्कूलों में हर साल बढ़ने वाले फीस, बार-बार किताबाें से लेकर ड्रेस बदलने को मनमानी बताते हुए इस पर सख्ती से रोक लगाने की मांग की। कहा कि निजी स्कूलों में सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जानी चाहिए।अग्रवाल मिशन संस्था की कोषाध्यक्ष रजनी टकसारी ने कहा कि विद्यार्थियों के कंधे पर किताबों का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। जिस विषय की कक्षाएं लगे, वही किताबें मंगवानी चाहिए। प्रयास सभी के लिए संस्था की महिला विंग की अध्यक्ष रितु पुरवार ने कहा कि कई निजी स्कूलों का पुस्तक विक्रेता से कमीशन तय होता है। इसलिए हर साल स्कूल किताबें भी बदल देते हैं। आराधना मोदी ने कहा कि निजी स्कूल विद्यार्थियों की ड्रेस भी लगातार बदलते रहते हैं। हर बार नई ड्रेस खरीदने पर भी अभिभावकों का पैसा खर्च होता है। भारत विकास परिषद की मनीषा नरवरिया ने कहा कि निजी स्कूल हर साल फीस बढ़ा देते हैं। जबकि, स्कूलों में आर्थिक रूप से कम बच्चे भी पढ़ते हैं। हर वर्ष फीस वृद्धि नहीं होनी चाहिए। भारत विकास परिषद के सचिव रामेश्वर प्रसाद मोदी ने कहा कि सरकारी अधिकारी, कर्मचारियों के बच्चे भी सरकारी स्कूल में पढ़ने चाहिए। महाराजा अग्रसेन समाज उत्थान समिति के संस्थापक अध्यक्ष श्याम सुंदर अग्रवाल ने कहा कि बच्चाें की फिजिकल एक्टिविटी लगातार कम हो रही है। स्कूलों को इस पर जोर देना चाहिए। तभी विद्यार्थियों का मानसिक विकास होगा। हरीश कुमार अग्रवाल ने कहा कि स्कूलों में एक्टिविटी के नाम पर धन उगाही की जा रही है। चंद्रप्रभा दुबे ने भी किताबें बदलने का मुद्दा उठाया। भारत विकास परिषद के अशोक बिलगैयां ने विद्यार्थियों के समग्र विकास पर जोर दिया। कहा कि सरकारी स्कूल के बच्चे भले ही मेरिट में न आ पाते हों लेकिन निजी स्कूलों के विद्यार्थियों की तुलना में बेहतर होते हैं। जेसीआई झांसी गूंज की निशु जैन ने कहा कि सरकारी विद्यालयों के विद्यार्थी निजी स्कूलों के छात्र-छात्राओं की तुलना में ज्यादा मानसिक, शारीरिक तौर पर मजबूत होते हैं। सुमन सिंह ने कहा कि विद्यालयों में सिर्फ एनसीईआरटी की ही किताबें पढ़ाई जानी चाहिए। इससे महंगी किताबें नहीं खरीदनी पड़ेंगी। कहा कि स्कूल विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट दे देते हैं और बनाना उनके परिजनों को पड़ता है। जेसीआई गूंज की विमलेश यादव और दीप्ति अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा जितनी सस्ती होगी, उतना अधिक से अधिक लोग शिक्षित बन सकेंगे।
