उरई। राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन शनिवार को किया गया। हाईकोर्ट प्रयागराज के प्रशासनिक न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने फीता काटकर लोक अदालत का उद्घाटन किया। उन्होंने पौधरोपण कर जिला कारागार का भ्रमण कर बंदियों से वार्ता भी की। जिला दीवानी न्यायालय में आयोजित लोक अदालत में 158016 वादों का निस्तारण किया गया। इनमें बैंकों के बकाया ऋण के 479 मामलों में बैंक एवं बकायेदारों के बीच 5,48,89000 रुपये का समझौता कराया गया। आपराधिक प्रकरणों में विभिन्न न्यायालयों ने 40 हजार रुपये बतौर जुर्माना धनराशि वसूला गया। आज करीब एक लाख सत्तर हजार वादकारी लाभान्वित हुए।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव व एडीजे महेंद्र कुमार रावत ने बताया कि जिला जज लल्लू सिंह ने 20 मुकदमों का निस्तारण कर 480845 रुपये पक्षकारों को दिलाए। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के पीठासीन अधिकारी अनिल कुमार वशिष्ठ ने 94 मामलों में पीड़ितों को 51168901 रुपये की धनराशि क्षतिपूर्ति के रूप में दिलाई। कुटुंब न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश मनोज कुमार सिंह गौतम ने 27 मामले निपटाए।

जिला उपभोक्ता संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विनोद कुमार ने पांच मामलों का निस्तारण कर 740369 रुपये याचीगण को दिलाए। स्थायी लोक अदालत के अध्यक्ष राजवर्धन गुप्ता ने सात मुकदमों में सुलह समझौता कराया। एडीजे अचल लवानिया ने ती, विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट शिवकुमार द्वितीय व विशेष न्यायाधीश प्रमोद कुमार गुप्ता, मोहम्मद कमर, अंजू राजपूत ने एक-एक मामला निस्तारित किया। विशेष न्यायाधीश ईसी एक्ट डॉ. अवनीश कुमार ने विद्युत अधिनियम के 195 मुकदमों का निस्तारण किया। राजीव सरन ने पांच मामले निस्तारित किए। सीजेएम रेनू यादव समेत सभी न्यायिक मजिस्ट्रेटों ने 5067 आपराधिक वादों का निस्तारण करते हुए 377725 रुपये अर्थदंड जमा कराया। इसके अलवा अन्य बाह्य अदालतों में भी मामलों का निस्तारण किया गया।

फोटो-19-कल्लू। संवाद

डकोर के ग्राम जैसारी निवासी कल्लू ने बताया कि वर्ष 2018 में इंडियन बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड से 80 हजार रूपये लिए थे। जो ब्याज मिलकर सवा दो लाख रुपये हो गया था। लोक अदालत में मामला पहुंचा। रुपये न होने की समस्या बताई। इस पर बैंकवालो ने 20 मार्च तक रुपये जमा करने की मोहलत दी।

फोटो-20-रमेश। संवाद

चुर्खी के चरसौनी निवासी रमेश ने बताया कि वर्ष 2012 में दुकान के लिए बैंक से बीस हजार रुपये के लिए थे। इसमें दस हजार रुपये वह बैंक को लौटा चुके हैं। शेष बकाया के लिए बैंक परेशान कर रही थी। लोक अदालत में आठ हजार रुपये और जमा करने पर सहमति बनी।



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