Diwali 2024 lot of fireworks in Agra lamp of happiness will burn even today

दिवाली पर सजावट
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार


आगरा में दीपोत्सव के पर्व पर खुशियों के दीप घर-घर में जगमग हुए। हरित पटाखों को चलाने की अनुमति दी तो ताजनगरी में जमकर आतिशबाजी हुई। बंदनवार से सजे घरों को रंगबिरंगी बिजली की झालरों के साथ रंगोली से सजाया गया। शाम होते ही घरों और प्रतिष्ठानों में शुभ मुहूर्त में भगवान श्रीगणेश और महालक्ष्मी का पूजन किया गया। महालक्ष्मी के स्वागत के लिए पूरा शहर सज-धजकर तैयार था। 

शहर के गली-मोहल्ले, कॉलोनी, बाजार, शोरूम सतरंगी रोशनी से जगमग दिखे। हर कोना फूलों से महका। प्रार्थना की कि मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे। कोरोना महामारी और डेंगू के डंक से निजात की प्रार्थना भी की गई। कान्हा की नगरी में दीपोत्सव पर्व की धूम रही। मुख्य मंदिरों में सजावट हुई। वहीं भक्तों ने मंदिरों में दीप दान किए। आस्था और उमंग के साथ खुशियों का पर्व मनाया।

मान्यता

त्रेता युग में भगवान राम जब लंकापति रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो उनके आगमन पर दीप जलाकर उनका स्वागत किया गया था और खुशियां मनाई गई थीं। इसी कारण प्रति वर्ष इस तिथि (कार्तिक अवामस्या) को दिवाली मनाई जाती है।

सुमन बृष्टि नभ संकुल भवन चले सुखकंद।

चढ़ी अटारिन्ह देखहिं नगर नारि नर बृंद॥  

भावार्थ : आनंदकन श्रीरामजी अपने महल को चले, आकाश फूलों की वृष्टि से छा गया, नगर के स्त्री-पुरुषों के समूह अटारियों पर चढ़कर उनके दर्शन कर रहे हैं।

ऐसे करें लक्ष्मी गणेश का पूजन

शाम को शुभ मुहूर्त में ईशान कोण में चौक या रंगोली बनाकर उस पर चौकी रखें। चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाकर लक्ष्मी-गणेश, देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करें। चौकी पर गणेश जी के सामने दाहिनी ओर नवग्रह स्थापित करें और पास में जल से भरा कलश रखें। कलश में कौड़िया, सिक्के, सुपारी और गंगाजल डालें। कलश पर रोली से स्वास्तिक बनाएं और मौली लपेट दें।

 

कलश के मुख पर आम के पत्ते लगाकर मिट्टी के बड़े दीए से ढक दें। दीपक में चावल भरें और लाल कपड़े में जटा नारियल लपेटकर रख दें। मां लक्ष्मी के समक्ष लाल कपड़े की थैली में 5 कौड़ी, 5 गोमती चक्र, हल्दी की गांठ रखें। पूजन के बाद इस पोटली को तिजोरी या लॉकर में रख लें। मां लक्ष्मी- प्रथम पूज्य गणपति, धन के देवता कुबेर का फल, फूल, पंचमेवा, खील-बताशे-खिलौनों से विधिवत पूजन करें। भगवान के सामने 11, 21 या 51 दीपक जलाएं और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगें।

पूजन का आज का शुभ मुहूर्त 

पं. सुभाष शास्त्री ने बताया कि 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 4:40 बजे है और अमावस्या 6:17 तक जो शुद्ध प्रदोषकाल है। ऐसे में दिवाली 1 नवंबर को मनाई जाएगी।

 



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