दीपावली पर खाद्य पदार्थों में मिलावट का खेल तेज हो गया है। काजू की बर्फी में मूंगफली मिलाकर बेची जा रही है तो चांदी की जगह मिठाइयों पर एल्युमिनियम के वरक लगाने के मामले सामने आ रहे हैं। 240 नमूनों में 125 गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे। हर दूसरा नमूना जांच में फेल हुआ है। खोवा, बर्फी, दूध, पनीर के नमूनों की यह रिपोर्ट तीन से चार महीने बाद आई है, तब तक लोग इनका सेवन कर चुके हैं।
वित्तीय वर्ष 2024-25 में 177 जगहों पर जांच कर 187 नमूने उठाए गए थे। वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक इसमें से 138 की रिपोर्ट प्राप्त हुई, जिसमें 74 नमूने अधोमानक (सब स्टैंडर्ड) और तीन असुरक्षित पाए गए। इसमें खोवा के 37 में 30, पनीर के 15 में 14, बटर का एक में एक, दूध से निर्मित मिठाई के 10 नमूनों में चार, सरसों तेल के तीन में एक, रिफाइंड के पांच में दो, डिब्बाबंद-सूखे फल के पांच में दो, मसालों के पांच में से दो अधोमानक, दो असुरक्षित, अनाज के चार में एक, दाल के तीन में दो, बोतलबंद पानी के चार में एक, दूध के साथ अन्य वस्तुएं मिलाकर बनाई गई मिठाइयों के 14 में पांच, नमकीन के नौ में तीन, अन्य खाद्य पदार्थों के नौ में दो नमूने फेल पाए गए।
पान मसाला का एक नमूना असुरक्षित मिला। इसी तरह अप्रैल से सितंबर के बीच 135 नमूने जांच के लिए भेजे गए। उसमें 102 की रिपोर्ट प्राप्त हुए जिसमें 46 अधोमानक, एक नमूना असुरक्षित और एक की गुणवत्ता के बारे में गलत जानकारी दिए जाने की बात सामने आई।
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