दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है। श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है। इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं।
दिवाली पर बन रहा है शुभ हंस महापुरुष राजयोग
इस वर्ष दिवाली के दिन एक विशेष और शुभ योग बन रहा है जिसे हंस महापुरुष राजयोग कहा जाता है। यह योग तब बनता है जब गुरु ग्रह (बृहस्पति) अपनी उच्च राशि कर्क में स्थित होता है। गुरु का यह संयोग बेहद शुभ माना जाता है और यह योग व्यक्ति के जीवन में वैभव, बुद्धि, सम्मान और समृद्धि लाने वाला होता है। दिवाली जैसे पावन पर्व पर इस राजयोग का बनना इस दिन की धार्मिक और ज्योतिषीय महत्ता को और अधिक बढ़ा देता है।
लक्ष्मी पूजन का लाभ
लक्ष्मी पूजन दीपावली के सबसे प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है, जो केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि मानसिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यंत फलदायी माना जाता है। मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। उनकी पूजा करने से जीवन में कभी धन की कमी नहीं होती और आर्थिक स्थिति में निरंतर सुधार होता है।
इस दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है, जो बुद्धि, विवेक और शुभता के देवता हैं। लक्ष्मी और गणेश की संयुक्त आराधना से न केवल धन प्राप्त होता है, बल्कि सही निर्णय लेने की क्षमता, शांति और संतुलन भी जीवन में आता है, जिससे घर में सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है।
व्यापारी वर्ग के लिए दिवाली विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। इस दिन वे अपने नए खाता-बही (लेजर) की पूजा करते हैं और व्यापार में उन्नति की प्रार्थना करते हैं। यह परंपरा नए आर्थिक वर्ष की शुरुआत के रूप में देखी जाती है।
इसके अलावा, अमावस्या की अंधेरी रात में दीप जलाकर की गई लक्ष्मी पूजा जीवन से नकारात्मकता और अज्ञान के अंधकार को दूर करती है। यह पवित्र अनुष्ठान न केवल भौतिक सुख देता है, बल्कि आध्यात्मिक शुद्धता और मानसिक सुकून भी प्रदान करता है। इस प्रकार लक्ष्मी पूजन जीवन के हर पहलू में शुभता और समृद्धि लाने का माध्यम है।
पूजा के शुभ मुहर्त
गृहस्थ, किसान, व्यापारी और विद्यार्थी के लिए- शाम 7: 32 मिनट से लेकर रात 9: 28 मिनट तक
नए व्यापारियों के लिए (चंचल)- शाम 5:55 मिनट से लेकर 7:25 मिनट तक।
परंपरागत व्यापारियों के लिए (शुभ)- रात 3:25 मिनट से लेकर 4:55 मिनट तक।
साधको के लिए (लाभ)- रात 12: 25 से 01:55 मिनट तक।
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त (प्रदोष काल)- शाम 07:00 से 08:30 तक।