Muzaffarnagar दशहरा पर्व की धूमधाम ने एक बार फिर से पूरे मुजफ्फरनगर को रंग-बिरंगे उत्साह और श्रद्धा के रंगों में रंग दिया। जिले भर में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का विशाल दहन किया गया, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस बार प्रशासन और पुलिस ने अपनी तैयारियों को पहले से ही चाक-चौबंद किया था, ताकि इस महत्वपूर्ण पर्व को सुरक्षित और सुव्यवस्थित रूप से मनाया जा सके।

उत्सव की झलक: 52 स्थानों पर हुआ रावण दहन

मुजफ्फरनगर जिले में दशहरा का मुख्य आकर्षण रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन रहा। इस वर्ष, जिले के कुल 52 स्थानों पर पुतला दहन के कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें से 20 कार्यक्रम शहरी क्षेत्रों में और 32 कार्यक्रम ग्रामीण इलाकों में हुए। इन आयोजनों में न केवल रावण का दहन हुआ बल्कि मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतलों को भी जलाया गया, जिससे समूचे क्षेत्र में उत्साह की लहर दौड़ गई।

शहर के प्रमुख स्थानों जैसे रामलीला टिल्ला, नुमाइश मैदान, पटेल नगर और एसडी गर्ल्स इंटर कॉलेज में विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए थे।

बच्चों का विशेष आकर्षण: मेले और खरीदारी

दशहरा मेले में बच्चों के लिए खास आकर्षण का केंद्र बना रहा। मेले में धनुष-बाण, गदा, गुब्बारे और अन्य खेल सामग्री ने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान ला दी। बच्चे अपनी मनपसंद वस्तुएं खरीदकर बेहद खुश नजर आए। दुकानों पर भीड़ बढ़ती चली गई, और बच्चों ने जमकर खरीदारी की।

इसके साथ ही, मेला क्षेत्र में विभिन्न खाने-पीने की दुकानों पर भीड़ देखी गई, जहां लोग चाट, पकौड़ी, जलेबी जैसे विभिन्न स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेते नजर आए।

सुरक्षा के कड़े इंतजाम

दशहरा पर्व के दौरान सुरक्षा को लेकर जिला पुलिस पूरी तरह से चौकस रही। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत के निर्देशानुसार, मुख्य कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी कैमरों से कड़ी निगरानी रखी गई। इसके साथ ही, प्रमुख स्थानों पर विशेष फोर्स तैनात रही, जिसमें पीएसी भी शामिल थी।

बेरिकेडिंग और यातायात नियंत्रण: प्रशासन ने दहन स्थलों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए चारों ओर बेरिकेडिंग की गई थी, ताकि किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो। नुमाइश मैदान और अन्य बड़े कार्यक्रम स्थलों पर पार्किंग के लिए विशेष व्यवस्था की गई थी, ताकि वाहन चोरी या अव्यवस्था जैसी समस्याओं से बचा जा सके।

साथ ही, यातायात को सुचारू बनाए रखने के लिए ट्रैफिक पुलिस को मुख्य सड़कों पर तैनात किया गया था, खासकर मेरठ रोड पर। आयोजन के समाप्त होने के बाद भी पुलिस पूरी तरह से अलर्ट मोड पर थी, ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।

सीसीटीवी से सुरक्षा की पुख्ता निगरानी

मुख्य कार्यक्रम स्थलों पर सीसीटीवी कैमरों की निगरानी से पूरे कार्यक्रम पर नजर रखी गई। रामलीला टिल्ला, नुमाइश मैदान, पटेलनगर, एसडी गर्ल्स इंटर कॉलेज जैसे प्रमुख स्थानों पर विशेष कैमरे लगाए गए थे। इस दौरान पुलिस कर्मियों को सिविल ड्रेस में भी तैनात किया गया था, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय गतिविधि पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।

प्रशासन की तत्परता और जनता का सहयोग

शहर के प्रमुख स्थानों पर पुलिस और प्रशासन की ओर से समय-समय पर निरीक्षण किया गया। एसपी सिटी सत्यनारायण प्रजापत ने दहन स्थल पर खुद पहुंचकर सुरक्षा व्यवस्थाओं की जांच की और आयोजकों से मिलकर सभी व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी ली।

इसके अलावा, कार्यक्रम स्थल पर दमकल और अग्निशमन यंत्र भी उपलब्ध थे, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। जनता का सहयोग भी प्रशासन को प्राप्त हुआ, जिससे पूरा आयोजन शांतिपूर्ण और सुरक्षित रूप से संपन्न हुआ।

अन्य जिलों में भी दशहरा की धूम

मुजफ्फरनगर के साथ-साथ आसपास के जिलों में भी दशहरा की धूम रही। बागपत, मेरठ, शामली, सहारनपुर आदि जिलों में भी बड़े धूमधाम से रावण दहन के कार्यक्रम आयोजित किए गए। मेरठ में भी 40 से अधिक स्थानों पर पुतला दहन किया गया।

मेरठ में कई जगहों पर इलेक्ट्रॉनिक रावण का दहन किया गया, जिसमें रावण के पुतलों में इलेक्ट्रॉनिक लाइट्स और स्पेशल इफेक्ट्स का उपयोग किया गया था। यह तकनीकी उन्नति भी दर्शाती है कि कैसे परंपरागत त्योहारों में आधुनिकता का संगम हो रहा है।

दशहरे के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व पर एक नज़र

दशहरा पर्व का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है। यह त्योहार विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। भगवान राम ने इस दिन रावण का वध किया था और इसीलिए इसे विजय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

इसके साथ ही, दशहरा के दिन ही मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध कर संसार को मुक्ति दिलाई थी। इसलिए इस दिन को शक्ति की पूजा और विजय के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

आधुनिक युग में दशहरे का बदलता स्वरूप

हाल के वर्षों में, दशहरे का स्वरूप काफी बदल गया है। अब पुतला दहन के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की बात भी जोर-शोर से उठाई जा रही है। कई स्थानों पर ग्रीन दशहरा मनाने की पहल की जा रही है, जहां रावण के पुतलों के साथ-साथ वृक्षारोपण और स्वच्छता अभियानों को भी बढ़ावा दिया जाता है।

इसके अलावा, आधुनिक तकनीकों का भी उपयोग किया जा रहा है। कई स्थानों पर इलेक्ट्रॉनिक रावण का दहन किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान हो और लोगों का मनोरंजन भी हो।

 सुरक्षा और संस्कृति का संगम

दशहरा पर्व हर वर्ष हमें यह संदेश देता है कि बुराई कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अच्छाई हमेशा जीतती है। इस वर्ष मुजफ्फरनगर में प्रशासन और पुलिस के उत्कृष्ट प्रबंधों ने यह सुनिश्चित किया कि यह पर्व सुरक्षित और सुव्यवस्थित रूप से मनाया जाए। लोगों ने बड़े हर्षोल्लास के साथ दशहरे का आनंद लिया और सुरक्षा के इंतजामों के बीच पूरे परिवार ने इस त्योहार को मिलजुल कर मनाया।

आने वाले वर्षों में भी ऐसी ही सांस्कृतिक धरोहर को संजोकर और आधुनिकता के साथ मिलाकर इस त्योहार को और भव्य तरीके से मनाने की उम्मीद की जा सकती है।



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