
सांकेतिक तस्वीर।
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काशी में ऋषि और कृषि की शिक्षा पद्धति साकार होगी। एक ही छत के नीचे वेद विद्या के साथ खेती-बाड़ी की शिक्षा मिलेगी। पूजा पद्धति से लेकर कर्मकांड और व्रत व त्योहारों के महत्व बताए जाएंगे। पंचांग, ज्योतिष के अलावा हिंदू महीनों के महत्व से भी लोगों रूबरू कराया जाएगा। इसकी रूपरेखा कांची कामकोटि पीठ ने तैयार कर ली है।
प्राचीन काल से काशी हर तरह की विद्याध्ययन का केंद्र रही है। मगर इसे और समृद्ध करने के लिए दक्षिण और उत्तर भारत की संस्कृतियों के अध्ययन का केंद्र भी बनाने की तैयारी है। कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने सनातन धर्म सेवाग्राम योजना के तहत सनातनी व्यवस्थाओं को जन-जन तक पहुंचाने की पहल की है।
कांची कामकोटि पीठ के प्रबंधक वीएस सुब्रह्मण्यम मणि ने बताया कि इसके लिए काशी और प्रयागराज के बीच जमीन की तलाश की गई है। छह एकड़ में सनातन धर्म सेवाग्राम केंद्र खोला जाएगा जो दो साल में बनकर तैयार हो जाएगा। इस केंद्र में दक्षिण और उत्तर भारत को जोड़ने के साथ ही सनातन संस्कृति से जुड़े हर पहलू की शिक्षा दी जाएगी।
इसके तहत पूर्णकालिक व अंशकालिक वेद विद्या, ऋषि और कृषि की शिक्षा मिलेगी। वीएस सुब्रह्मण्यम मणि ने बताया कि महिलाओं के लिए संप्रदाय प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी यहां चलेगा। उन्हें व्रत, त्योहार, ग्रहण नक्षत्र से लेकर सात्विक भोजन आदि के बारे में बताया जाएगा।