झांसी। जनपद में इस बार हुई अच्छी बारिश ने धरती की प्यास बुझाने के साथ भूजल भंडार भी समृद्ध कर दिया है। जिले का भूजलस्तर औसतन 1.72 मीटर बढ़ गया है, जो बीते वर्षों की तुलना में बेहतर सुधार है। लोगों को अब 4.02 मीटर की गहराई में ही आसानी से पानी उपलब्ध हो रहा है। समय पर बारिश और उसकी निरंतरता का लाभ गांवों से लेकर शहर तक महसूस किया जा रहा है। कई इलाकों में नदियों, बांधों, कुओं और नलकूपों की जलधार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
जलसंकट से जूझते बुंदेली धरा के लिए यह बढ़ोतरी उम्मीद की किरण लेकर आई है। इस बार अच्छी बारिश से बेतवा, धसान, सुखनई नदियों समेत सभी जलस्रोत लबालब रहे। पानी का स्तर ऊपर आने से खेती और शहरी पेयजल व्यवस्था दोनों को राहत मिलने की उम्मीद है। भूगर्भ जल विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2021 में जिले का भूजल स्तर 5.74 मीटर था। यह स्तर इस साल 4.02 मीटर पर आ गया है। सबसे अच्छी स्थिति मोंठ तहसील की है। इस क्षेत्र में भूमिगत जलस्तर पांच साल पहले 2.54 मीटर पर था। इसका स्तर अब 2.20 मीटर पर पहुंच गया है। वहीं सबसे खराब स्थिति बामौर तहसील की बताई गई है। यहां वर्तमान में 7.97 मीटर पर भूजलस्तर है। पांच साल पहले यहां 10.87 मीटर पर था। हालांकि यहां भी पहले से काफी सुधार हुआ है।……..
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पिछले पांच सालों में जिले के ब्लॉक स्तर पर यह रही भूजल की स्थिति
ब्लॉक 2021 2022 2023 2024 2025
बड़ागांव 3.11 2.15 3.21 2.65 3.15
बबीना 3.72 3.36 4.24 3.82 3.10
बामौर 10.87 10.45 10.73 9.58 7.97
बंगरा 5.20 5.47 5.35 4.42 3.06
चिरगांव 4.06 3.9 4.23 4.39 3.88
गुरसराय 9.57 7.62 8.06 6.8 4.21
मऊरानीपुर 6.80 6.42 7.42 7.11 4.58
मोंठ 2.54 1.14 2.43 2.67 2.20
औसत 5.74 5.06 5.71 5.18 4.02
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जनपद में हुई 695 एमएम औसत वर्षा
– वर्ष 2018 के बाद इस वर्ष जनपद में सर्वाधिक बारिश हुई। यही वजह रही कि मानसून सीजन में 695 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई जबकि पिछले साल 644.53 एमएम बारिश हुई थी।
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बारिश के पहले और बाद दो बार मापा जाता है भूजल
– भूजल विभाग साल में दो बार भूजल स्तर की जांच करता है। यह दो प्रकार से किया जाता है। पहला भूजल मापीकरण मानसून से पहले किया जाता है जिससे यह पता लग सके कि मानसून से पहले कितना जलस्तर है। इसे प्री मापीकरण कहा जाता है। तो दूसरा मानसून समाप्त होने के बाद भूजल का स्तर मापा जाता है। जिसे पोस्ट मापीकरण कहा जाता है।
वर्जन
भूजल स्तर में सुधार के लिए तमाम जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। गांवों में लोगों को वर्षा जल संचय के साथ भूगर्भ जल सुधार के कार्य भी कराए जा रहे हैं। अच्छी बारिश का भी भूजलस्तर पर प्रभाव पड़ा है।
– मनीष कनौजिया, सहायक अभियंता, भूगर्भ जल विभाग, झांसी।
