Elderly man appears in murder-robbery case after 30 years

कोर्ट प्रतीकात्मक तस्वीर
– फोटो : एएनआई

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अलीगढ़ के इगलास में तीस वर्ष पहले हुई हत्या व डकैती के एक मुकदमे में आरोपी 77 वर्षीय बुजुर्ग तीस वर्ष बाद हाजिर हुआ। उसने अदालत से साक्ष्यों का अभाव बताकर जमानत मांगी। मगर सत्र न्यायाधीश संजीव कुमार सिंह की अदालत से उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है। खास बात है कि उसका नाम साथियों के बयानों में उजागर हुआ था। उसके खिलाफ मफरूरी यानि फरारी में चार्जशीट दायर हुई और सत्र परीक्षण में तीन साथी पूर्व में बरी हो चुके हैं।

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डीजीसी फौजदारी चौ. जितेंद्र सिंह के अनुसार, घटना 20 दिसंबर 1995 की इगलास की है। वादी मुकदमा अलाउद्दीन के अनुसार, उनके घर बदमाश डकैती के लिए आए। लूटपाट कर भागते समय भाई की गोली मारकर हत्या कर दी। पुलिस विवेचना में पप्पू, हरिया, दानवीर आदि के नाम उजागर हुए और गिरफ्तारी हुई। पप्पू ने नाहरगढ़ी बल्देव मथुरा के रामगोपाल का नाम बताया। पुलिस ने मफरूरी में चार्जशीट दायर की। 

अदालत के निर्देश पर रामगोपाल पर समन, वारंट, कुर्की आदि की कार्रवाई की। मगर वह हाजिर न हुआ। तीस वर्ष बाद इसी वर्ष पांच जुलाई को हाजिर होकर जेल गया और जमानत अर्जी दायर की। जिसमें कहा कि उसका नाम पप्पू के बयानों में लिया गया। उसे आज तक मुकदमे की सूचना नहीं मिली। वह 77 वर्षीय बुजुर्ग है। बाकी तीनों बरी हो चुके हैं। उसे जमानत दी जाए। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि यह इतने समय बाद हाजिर हुआ है। फिर फरार हो जाएगा। ट्रायल प्रभावित होगा। इस आधार पर इसकी जमानत खारिज की गई है।

ये भी जमानत खारिज

इसी न्यायालय से बन्नादेवी के हत्या के मुकदमे में मुकेश की, दुष्कर्म के बन्नादेवी के मुकदमे में वसीम की व अतरौली के दुष्कर्म के मुकदमे में नवाजिश की जमानत खारिज की गई है।



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