{“_id”:”678b50885e82057ea7083e4c”,”slug”:”electricity-employees-protest-against-privatisation-in-uttar-pradesh-2025-01-18″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”बिजली निजीकरण: कॉर्पोंरेशन प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी, उग्र आंदोलन की चेतावनी, बोले- बड़े पैमाने पर छंटनी तय”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
– फोटो : amar ujala
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पूर्वांचल और दक्षिणांचल को निजी हाथों में देने के विरोध में शुक्रवार को भी बिजली कार्मिकों ने काली पट्टी बांध कर कार्य किया। भोजनावकाश और शाम को काम खत्म करने के बाद प्रदेशभर के कार्यालयों के सामने प्रदर्शन किया। संकल्प लिया कि निगमों को निजी हाथों में नहीं जाने दिया जाएगा। जरूरत पड़ी को उग्र आंदोलन किया जाएगा।
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प्रदेशभर में स्थित ऊर्जा कार्यालयों एवं विभिन्न परियोजनाओं पर विरोध प्रदर्शन करते हुए संगठनों के पदाधिकारियों ने कहा कि निजीकरण के बाद बड़े पैमाने पर छंटनी होनी तय है। लखनऊ में शक्ति भवन पर अभियंताओं एवं अन्य कार्मिकों ने नारेबाजी करते हुए चेतावनी दी कि वे किसी भी कीमत पर निजीकरण नहीं होने देंगे। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के पदाधिकारियों राजीव सिंह, जितेन्द्र सिंह गुर्जर, गिरीश पांडेय, महेन्द्र राय आदि ने कहा कि पूर्वांचल में 44330 पद और दक्षिणांचल के 33161 पद हैं। निजीकरण होने के बाद ये पद समाप्त हो जाएंगे।
कार्मिकों को लेना पड़ा था वीआरएस
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि जिस वक्त दिल्ली और उड़ीसा में निजीकरण हुआ था तो वहां बड़े पैमाने पर कार्मिकों को मजबूरी में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेनी पड़ी थी। आगरा में टोरेंट पावर कंपनी ने भी पावर कॉरपोरेशन के एक भी कर्मचारी को नहीं रखा था। ग्रेटर नोएडा में नोएडा पावर कंपनी ने भी ऐसा ही किया था। इसी तरह ट्रांजैक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के प्रपत्र में भी शीर्ष स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का जिक्र किया गया है।
पदों की समाप्ति के साथ खत्म हो जाएगा आरक्षण
पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन ने कहा कि निजीकरण के बाद न सिर्फ 77491 पद समाप्त होंगे, बल्कि दोनों निगमों में आरक्षण भी खत्म हो जाएगा। ऐसे में आरक्षण बचाने के लिए आंदोलन जारी रहेगा। एसोसिएशन से जुड़े अभियंताओं एवं अन्य कार्मिकों ने दिनभर काली पट्टी बांधकर कार्य करने के बाद शाम को डॉ. भीमराव आंबेडकर की तस्वीर रखकर बैठक की।
एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने इस बात पर खुशी जताई कि ऊर्जा विभाग के अलावा भी अन्य विभागों के आरक्षण समर्थक संगठनों का निरंतर सहयोग मिल रहा है। सभी को साथ लेते हुए आरक्षण बचाओ पैदल मार्च शुरू किया जाएगा। बैठक में मौजूद एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति को अब तक 25 से ज्यादा संगठनों ने लिखित में पत्र भेजा है, जिसमें निजीकरण के विरोध में साथ रहने का भरोसा दिया है।