विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सोमवार को प्रदेशभर में विरोध प्रदर्शन किया। बिजली कर्मियों पर हुई उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की निंदा करते हुए आक्रोश जाताया। संकल्प लिया कि निजीकरण प्रस्ताव रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

समिति के पदाधिकारियों का आरोप है कि निजीकरण का विरोध करने पर बिजली कर्मियों के खिलाफ लगातार उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की जा रही है। 55 साल की उम्र का हवाला देते हुए संविदाकर्मियों को हटाया जा रहा है। बिजलीकर्मियों को दो से 400 किमी दूर तबादले किए जा रहे हैं। 

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फेसियल अटेंडेंस के नाम पर जून और जुलाई माह का वेतन और मानदेय अभी तक नहीं दिया गया है। उत्पीड़न के नाम पर विजिलेंस की जांच कराकर शीर्ष पदाधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने मांग की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई तत्काल रद्द की जाए।

बारिश के बीच चला प्रदर्शन

लखनऊ में मध्यांचल मुख्यालय पर भारी बारिश के बीच बिजली कर्मियों ने विरोध प्रदर्शन जारी रखा। केन्द्रीय पदाधिकारियों ने कहा कि शीर्ष प्रबंधन की निजी घरानों के साथ मिलीभगत है। आठ माह से निजीकरण न कर पाने के कारण हताश प्रबंधन बिजली कर्मियों का लगातार उत्पीड़न कर रहा है।



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