इकदिल। जल्दबाजी में शॉर्टकट अपनाने में नेशनल हाईवे ने जिले की कई जिंदगियां निगलीं। इनमें से अधिकांश मौतें नेशनल हाईवे किनारे बसे गांव नगला दलप के लोगों की हैं। किसी ने अपना बेटा खोया तो किसी ने पिता का साया।

क्षेत्र के गांव नगला दलप के ही 20 परिवारों ने अपने खोए हैं। सबसे ज्यादा हादसे कोहरे के बीच हुए हैं। अमर उजाला की कोहरे न बनें कहर…सीरीज के तहत टीम ने गांव में हकीकत जानी परिवार के लोग फफक पड़े। माना शॉर्टकट और जल्दबाजी ने उनके अपनों को छीन लिया।

तीन जुलाई 2023 को अपना बड़ा बेटा सोनू उर्फ अरुण के घर मंगलवार को अमर उजाला की टीम पहुंची तो अरुण की मां निर्मला देवी और छोटी बहन काजल मिलीं। संवाददाता ने उनके बेटे के बारे में पूछा तो वह भावुक हो उठीं। बताया कि तीन जुलाई को उनका बेटे को नेशनल हाईवे पर हुए हादसे ने छीन लिया। आंखों में आंसू भरे मां ने कहा कि बेटे की दो साल पहले ही शादी की थी। जून में उसके बेटा हुआ था। प्रपौत्र से पूरे घर में खुशी थी। जिम्मेदारियां बढ़ने के साथ सोनू ने अपने कंधे और मजबूत कर लिए थे। वह हमेशा यह कहता कि अम्मा…पापा अब परेशान न हो मैं मेहनत मजदूरी करके ही आप लोगों का पूरा ध्यान रखूंगा। छोटे भाई-बहनों को पढ़कार अधिकरी बनाने का सपना संजोए थे।

बताया कि तीन जुलाई की शाम वह बकेवर कस्बे से मजदूरी करके लौट रहा था। गांव के बाहर नेशनल हाईवे किनारे वह ऑटो से उतरकर अवैध कट से रास्ता पार कर हाईवे पार करने लगा और इसी बीच किसी वाहन ने उसे टक्कर मार दी थी। उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जानकारी हम माता-पिता के साथ ही उसकी पत्नी ज्योति का रो-रोकर बुरा हाल था। वहीं इसी गांव के सतीश पुत्र छोटेलाल भी इसी नेशनल हाईवे पर सड़क हादसे में अपनी जान गवां बैठे थे। वह भी अपनी तीन संतानों को अकेला छोड़ गए। इसी गांव के राकेश पुत्र सियाराम ने अपना पांच साल के पुत्र को सड़क हादसे में खोया था। इसी गांव के सोनी पुत्र अजब सिंह की भी सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी।

सरायमिट्ठे के भी 13 लोगों की जा चुकी है जान

बकेवर। सरायमिट्ठे गांव के सामने बने अवैध कट से भी गांव के लोगों की आवाजाही है। यह आवाजाही ग्रामीणों की जानों के साथ ही हाईवे पर चल रहे वाहनों के लिए भी खतरनाक है। आधे से एक किलोमीटर का चक्कर बचाने के लिए गांव के करीब 13 परिवारों के लोग अपने खो चुके हैं। विजय सिंह कोरी पुत्र सोनेलाल का करीब एक माह पहले गांव के सामने ही सड़क पार करते समय हादसे का शिकार बन गए थे। हादसे में उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी। उनकी मौत के बाद पूरा घर टूट गया। एक बेटा और दो बेटियां मजदूरी करके जीवन यापन कर रही हैं। लावरपुरा गांव के अशोक कुमार की भी तकरीबन डेढ़ माह पहले सड़क पार करते समय हादसे होने से मौत हो गई थी। इस तरह गांव के लगभग 13 लोग अभी तक जान गंवा चुके हैं।



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