इटावा/निवाड़ीकला। आलू के गिरते दामों के कारण किसानों के साथ-साथ कोल्ड स्टोरेज के संचालक भी परेशान हैं, जहां एक ओर किसान भाव की कमी से स्टोर से निकासी कर बेचने से बच रहे हैं। वहीं, दूसरी ओर स्टोर मालिकों को भी अपने किराये की चिंता सता रही है।

इस बार आलू की अच्छी पैदावार हुई थी। शुरुआत में भाव की कमी होने के कारण किसानों ने आलू का कोल्ड स्टोरेज में भंडारण कर दिया था। इस समय आलू का भाव 650 से एक हजार रुपये प्रति क्विंटल हैं। जो किसानों के हिसाब से कम हैं। किसानों के अनुसार, आलू के भाव में वृद्धि होनी चाहिए। वर्ष 2022-23 में 19, 600 हेक्टेयर भूमि में आलू की पैदावार की गई है।

जिले के 54 काेल्ड स्टोरेज में 6,06,508 मीट्रिक टन आलू के भंडारण की क्षमता है, जबकि इस वर्ष 5,72,290 एमटी आलू का भंडारण ही किया गया था। इसमें से अभी तक सिर्फ 2,34,639 एमटी आलू की निकासी हो पाई है, जो 50 प्रतिशत से भी कम है। 3,37,651 एमटी आलू आज भी कोल्ड स्टोरेजों में डंप पड़ा है। ऐसे में किसानों के साथ-साथ कोल्ड स्टोरेज संचालकोें को भी चिंता सताने लगी है। उनके अनुसार अगर आलू की कीमतों में इजाफा नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी खराब हो जाएगी। बीते वर्ष भी सितंबर-अक्तूबर में आलू की स्थिति ठीक नहीं रही थी। इससे चिंता होना लाजिमी है।

किसानों की बात

निवाड़ीकला निवासी आलू किसान राघवेंद्र ने बताया कि उन्होंने 20 बीघा खेत में आलू की फसल की बुआई की थी। पैदावार भी अच्छी हुई, लेकिन अब कीमत सही नहीं मिल रही है। ऐसे में अभी तक एक भी पैकेट आलू कोल्ड से बाहर नहीं निकाला है। बीते दिनों बाजार में अच्छे आलू की कीमत प्रति पैकेट 450 से 500 रुपये थी, जो लागत के हिसाब से काफी कम है। नगला तुला के किसान अनमोल चंद बताते है कि आलू की फसल में फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है। इसी वजह से उन्होंने आलू की खेती कम कर दी है। अब सिर्फ गृहस्थी के लिए ही आलू की बुआई करते है। आलू की कीमत 13 से 14 सौ रुपये प्रति क्विंटल होनी चाहिए। तभी किसानों का कुछ भला हो सकता है। त्योहार बाद आलू की कीमत ओर भी गिर सकती है।

बोले संचालक

कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के अध्यक्ष राजेश अरोड़ा ने बताया कि आलू की निकासी कम होने से स्थिति चिंताजनक है। गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष जनपद में आलू का भंडारण सात से आठ प्रतिशत बढ़ा है। पिछले वर्ष निकासी के अंतिम दिनों में आलू की स्थिति खराब हो गई थी। इस बार भी ऐसी स्थिति होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। मांग कम होने की वजह से दूसरे जिलों में आलू कम भेजा जा रहा है। मई-जून में कीमत फिर भी ठीक थी, लेकिन अब अच्छी नहीं है। हल्के क्वालिटी के आलू की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

निर्यात नीति न बनने से बिगड़े हालात

किसानों का कहना है कि जब तक आलू निर्यात नीति नहीं बनाई जाएगी। तब तक किसान मजबूर रहेगा। किसान इसरार, गुड्डू, बल्लू , विकास बताते हैं कि निर्यात नीति बनाने पर चर्चाएं तो बहुत हुई, लेकिन व्यर्थ गई। इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *