इटावा। धान खरीद में पक्की रसीदें न देकर आढ़ती बड़ा खेल कर रहे हैं। जिले की तीनों मंडियों में आढ़ती एक सादे कागज पर हिसाब लिखकर दे रहे हैं। ऐसे में जहां राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। वहीं सरकारी दामों से कम दामों पर धान खरीदकर सरकारी आदेशों का भी खुलेआम मजाक उड़ाया जा रहा है।

जिले में धान खरीद की प्रमुख तीन मंडियां हैं। इनमें शहर में स्थित नवीन मंडी, भरथना और जसवंतनगर शामिल है। धान की सबसे ज्यादा आवक भरथना मंडी में है। तीनों मंडियों में जानकारी के अभाव में आढ़ती किसानों के साथ धोखा करते हैं। ऐसा धोखा जो खुद किसानों को भी नहीं पता चलता है। फसल बिक्री के बाद किसानों को उनकी फसल की बिक्री की सादा कागज पर पर्ची बनाकर दे दी जाती है।

वहीं, मंडी समिति की ओर से दी जाने वाली 6-आर रसीद उन्हें नहीं दी जाती है, जो किसानों के साथ धोखा है। तीनों मंडियों में प्रतिदिन 70 हजार बोरी (40 किलो प्रति बाेरी) धान की आवक है। मंडियों में सादा पर्ची पर ही किसानों को तौल और दाम लिखकर सबूत दे दिया जाता है। किसानों को 6-आर रसीद न दिए जाने पर उनको कई जगह पर मिलने वाले सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ता है।

जिले की तीनों प्रमुख मंडियों में इस समय रसीद के नाम पर मनमानी का खेल चल रहा है। लगभग 700 आढ़ती धान खरीद कर रहे है। कुछ जागरूक किसानों के रसीद मांगने पर आढ़ती उन्हें बहाने बनाकर टरका देते हैं। किसान रामकुमार, अरुण कुमार, पंकज, प्रेमचंद, जगदीश ने बताया कि किसानों को मजबूरन फसल बेचनी होती है। रसीद न देने पर वह कुछ कह भी नहीं सकते हैं। अधिकारियों को इस पर ध्यान देना चाहिए।

क्या होती है 6-आर रसीद

सरकार ने कृषि से होने वाली आय को कर मुक्त रखा है। ऐसे में यह कैसे पता चलेगा कि कौन सी आय कृषि की है और कौन सी व्यवसाय की। इसीलिए मंडी में फसल बिक्री के समय किसानों को 6-आर रसीद काटकर दिए जाने की व्यवस्था है। यह रसीद दाखिल करने पर आयकर नहीं देना होता है। इससे किसानों को अन्य सरकारी योजनाओं में भी सहूलियत होती है।

ऐसे होता है खेल

जागरूक किसान उदय कुमार ने बताया कि 6-आर रसीद देने से आढ़ती को पूरे तौल का लेखाजोखा समिति की निगाह में डालना होगा। कुछ आढ़ती कम दामों में धान को खरीदकर डंप कर लेते है। फिर सरकारी खरीद चालू होने पर अच्छे दामों में सरकारी केंद्रों पर बेच देते हैं। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो जाता है। अगर वह किसानों को 6-आर उपलब्ध कराते हैं तो फिर उन्हें सही कीमतों पर ही खरीद करनी होगी। कुछ आढ़ती शाम के समय कुछ बड़े किसानों की 6-आर रसीद काट कर रख लेते हैं। इससे वह अधिकारियों की निगाह पर नहीं आते और कार्रवाई से बच जाते हैं।

ऐसे बनाते हैं बहाना

6-आर रसीद मांगने पर आढ़ती किसानों से तमाम तरह के बहाने बनाते हैं। आढ़ती कहते है कि रसीद अगर लोगे तो चेक से भुगतान होगा। चेक के पचड़े से बचने के लिए किसान चुपचाप सादे कागज पर ही रसीद लेकर ही चले जाते हैं। जबकि भुगतान में ऐसा कोई नियम ही नहीं है। मंडी सचिव ने बताया कि 6-आर रसीद में भुगतान किसी भी प्रकार से किया जा सकता है।

किसानों की बात

भरथना मंडी में धान बेचने आए टड़वा इस्माइलपुर निवासी देवेंद्र कुमार ने बताया कि आढ़ती कच्ची रसीद देकर उसी के आधार पर भुगतान कर देते हैं। उन्होंने इस बार करीब 15 क्विंटल धान बेचा है। आढ़ती ने सादे कागज पर लिखकर हिसाब दे दिया है। भरथना मंडी में मौजूद सिन्हुआ निवासी किसान पप्पू का कहना है कि धान की बिक्री करने पर कच्ची रसीद मिली है। उन्हें पक्की रसीद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। सादा पर्ची पर ही हमेशा भुगतान मिल जाता है। नवीन मंडी में धान का भुगतान लेने आए लोकपुरा निवासी किसान प्रमोद ने बताया कि पिछले दिनों उन्होंने 20 क्विंटल धान बेचा था। उसी का भुगतान लेने मंडी आए है। जानकारी के अभाव में 6-आर के बारे में उन्होंने बताया कि जो पर्ची गेट पर मिलती है, वहीं 6-आर है। वह उनके पास है। नवीन मंडी में मिले नगला हरी निवासी किसान बबलू का कहना है कि उनके 12 पैकेट धान थे, जो बेच दिए है। सादा रसीद मिली थी उसका भुगतान भी हो चुका है । उन्हें 6-आर रसीद के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जसवंतनगर मंडी में धान बेचने आए ग्राम अंडावली के किसान देवेंद्र का कहना है कि वह मंडी समिति पर लगभग 40 क्विंटल धान लेकर आए थे। हम लोग जब आढ़तियों से पक्की रसीद मांगते हैं तो वह एक कागज पर लिखकर ही दे देते हैं। कोकावली के किसान शिवकुमार का कहना है कि वह अपना 47 क्विंटल धान मंडी लेकर आए हैं। आढ़ती से जब पक्की रसीद मांगी तो उन्होंने नहीं दी। इसके पीछे का कारण तो उन्हें नहीं पता मगर उन्हें एक कच्ची रसीद ही मिली है।

वर्जन

मंडी में 6-आर रसीद दी जा रही है। सर्वर समस्या या किसी तकनीकी गड़बड़ी के कारण हो सकता है कि रसीद न दी गई हो। अगर 6-आर रसीद नहीं दी जा रही है तो दिखवाया जाएगा। किसानों को 6-आर रसीद देना अनिवार्य है।- अनिल कुमार, मंडी सचिव इटावा/भरथना



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