इटावा। परिषदीय विद्यालयों की दुर्दशा सुधारने के लिए चलाई गई कायाकल्प योजना पर भले ही लाखों रुपये खर्च किए जा चुके हों, लेकिन आज भी जिले के कई विद्यालयों में छात्राओं के लिए अलग से शौचालय तक का इंतजाम नहीं है। चकरनगर के सहसों में बने विद्यालय में तो कोई शौचालय न होने से बच्चों को पेशाब तक के लिए मुंह ताकना पड़ता है।

प्रदेश व केंद्र सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच से मुक्ति के लिए गांवों और नगरों में शौचालयों का निर्माण करा रही है। कायाकल्प योजना के तहत परिषदीय स्कूलों में बालक-बालिका और दिव्यांग शौचालय बनाने के आदेश हैं। इसके बावजूद जिले के कई विद्यालयों में अभी तक बेटियों के लिए अलग शौचालय तक नहीं बन सके।

अमर उजाला की पड़ताल में शुक्रवार को यह सच सामने आने के बाद जब शिक्षा विभाग जिम्मेदारों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्रामीण शौचालयों का निर्माण व मरम्मत कार्य ग्राम पंचायतें परिषदीय विद्यालयों में कराती हैं। हालांकि पंचायतीराज विभाग का दावा है कि बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जिन विद्यालयों में बनवाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। अधिकांश में बनवा दिया गया है। कुछ में बनवाने की प्रक्रिया चल रही है।

दृश्य-1

सहसों के प्राथमिक विद्यालय में नहीं शौचालय

चकरनगर। ब्लॉक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय सहसों में डेढ़ वर्ष से शौचालय ही नहीं है। विद्यालय में 120 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं और इनमें 61 छात्राएं है। परिसर के समीप दो आंगनबाड़ी केंद्र भी संचालित है। इसमें 70 नौनिहालों का पंजीकरण है। शौचालय न होने से छात्राओं और महिला शिक्षिकाओं को सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ता है। बच्चों को शौच के लिए जंगल का रुख करना पड़ता है। प्रधानाचार्य नमिता यादव ने बताया कि डेढ़ वर्ष से शौचालय नहीं है। अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है।

वहीं, प्राथमिक विद्यालय ढकरा में शौचालय गंदगी से पटे हैं। सहसों प्रधान प्रतिनिधि राहुल गौतम ने बताया कि विद्यालय में कायाकल्प के तहत कोई कार्य नहीं हुआ है। बीईओ उपेंद्र भारती ने बताया कि जर्जर भवन के साथ शौचालय ध्वस्त हो गया था। इसे गिरा दिया गया।प्रधानाचार्य निलंबित हो गई हैं। पत्राचार करके इंचार्ज प्रधानाचार्य के खाते में धनराशि भिजवाकर शौचालय का निर्माण कराया है।

दृश्य – 2

कैस्त और अजनोरा में सिर्फ एक-एक शौचालय

जसवंतनगर। ब्लाॅक क्षेत्र के कैस्त स्थित कन्या प्राथमिक विद्यालय द्वितीय में एक ही शौचालय है। छात्र-छात्राएं इसी का प्रयोग करते हैं। इससे बच्चों को परेशानी होती है। प्रधानाचार्य स्वरलेखा ने बताया शौचालय के लिए पत्राचार किया गया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। प्रधान कमला देवी ने बताया कि प्रस्ताव मिलते ही निर्माण कराया जाएगा। इसी प्रकार प्राथमिक विद्यालय अजनोरा में भी एक ही शौचालय है। प्रधानाचार्य धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि स्कूल में एक ही शौचालय में सभी बच्चों शौच के लिए जाते हैं। बीईओ अकलेश कुमार सकलेचा ने बताया कि दोनों स्कूलों में शौचालय बनाने के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं। जैसे ही पैसा आएगा उन्हें बनवा दिया जाएगा।

दृश्य – 3

नगला धनी में शौचालय तो बना पर उपयोग के लायक नहीं

भरथना। नगला धनी गांव में स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय परिसर में दिव्यांग शौचालय अधूरा पड़ा है, जबकि बालक, बालिकाओं के लिए पहले से बना शौचालय में गंदगी से पटा है। प्रभारी प्रधानाध्यापिका अर्चना यादव ने बताया कि परिसर में दिव्यांग शौचालय का निर्माण पिछले एक वर्ष से अधूरा पड़ा है। भोली गांव स्थित उच्च प्राथमिक विद्यालय परिसर में सिर्फ बालिकाओं के लिए शौचालय बना है। जबकि बालकों का शौचालय जीर्णशीर्ण अवस्था में है। परिसर में दिव्यांग शौचालय नहीं है। बीईओ सर्वेश कुमार ने बताया कि कायाकल्प योजना के 19 बिंदुओं में दिव्यांग शौचालय/मूत्रालय का कार्य ब्लॉक कार्यालय स्तर से कराए जाते हैं। इसके लिए कई बार विभागीय पत्राचार किया गया। शिक्षा विभाग से जुड़े कायाकल्प योजना अन्य बिंदु प्रत्येक विद्यालय में पूर्ण है।

वर्जन

इस संबंध में जानकारी नहीं है। जानकारी कराकर बचे विद्यालयों में शौचालय बनवाने का प्रस्ताव जल्द भेज दिया जाएगा। -उदयराज सिंह, प्रभारी बीएसए

वर्जन

जिनके प्रस्ताव बेसिक शिक्षा से मिले हैं। उन सभी स्कूलों में बालक और बालिका शौचालय बनवा दिए गए हैं। जिले में 654 दिव्यांग शौचालयों का निर्माण कराया जा चुका है। बचे हुए स्कूलों में बजट मिलते ही दिव्यांग शौचालय बनवाए जाएंगे। -रोहित कुमार, एडीपीआरओ



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