इटावा। प्रदेश सरकार कायाकल्प के नाम पर परिषदीय स्कूलों की शक्ल-सूरत बदलने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। हर साल विद्यालय की सूरत सुधारने के लिए हजारों रुपये भी खर्च किए जा रहे हैं, इसके बावजूद धररात पर स्थिति नहीं सुधर पा रही हैं। कहीं टूटी टोटिंया तो कहीं टूटी चहारदीवारी मुसीबत बनी हुई है।

ग्राम पंचायतों ने स्कूल की छतों की मरम्मत, टाइल्स, पेयजल की टोंटियां, बाउंड्रीवाल, मुख्य दरवाजे और साफ-सफाई समेत कई कार्य कराए हैं। इसके बावजूद इसके आज भी जिले के कई स्कूलों में मूलभूत सुविधाएं ही नहीं हैं। किसी विद्यालय में बच्चों के लिए पानी की व्यवस्था नहीं है तो कहीं पर वर्षों से बाउंड्रीवाल अधूरी पड़ी हैं। इससे बच्चों को आवारा जानवरों का खतरा भी बना रहता है। दिलचस्प बात तो यह है कि स्कूलों में लगातार अधिकारियों के दौरे चलते रहते हैं, लेकिन उनका भी ध्यान बच्चों की मूलभूत सुविधाओं की ओर नहीं जाता या फिर निरीक्षणों में खानापूर्ति करके कागजी घोड़े दौड़ाए जाते हैं। यहां तक की शिक्षा विभाग के पास यह भी जानकारी नहीं है कि जिले के कितने स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। जिले के परिषदीय स्कूलों की हालात बयां करती ये रिपोर्ट

बिरौना बाग में नहीं पेयजल की व्यवस्था

चकरनगर क्षेत्र के बिरौना बाग स्थित कंपोजिट विद्यालय में 37 बच्चे पंजीकृत हैं, लेकिन उनके लिए पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं हैं। बच्चे और शिक्षक अपने-अपने घरों से पानी लेकर आते हैं। कई बार शिकायतों का दौर भी चला, लेकिन नतीजा सिफर रहा। प्रभारी प्रधानाध्यापक ज्ञान प्रकाश ने बताया कि स्कूल में पानी की बड़ी किल्लत है। स्कूल में सरकारी नल तो लगा है। उसमें सबमर्सिबल गांव के लोगों डाल रखी हैं। स्कूल के सबमर्सिबल का कोई पता नहीं है। स्कूल में पानी की सप्लाई भी है। स्कूल का नल ग्रामीणों का होकर रह गया है। प्रधान से कई बार कह चुका आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई। बच्चे घर से पानी लाकर पीते हैं।

कई महीनों से टूटी पड़ी चहारदीवारी

नगर क्षेत्र के नौरंगाबाद के कंपोजिट विद्यालय की बाउंड्रीवाल कई महीनों से टूटी पड़ी हैं। स्कूल में 135 छात्र-छात्राओं का पंजीकरण हैं। स्कूल में पहले से ही शिक्षकों की कमी है उपर से मोहल्ले के लोगों ने बाउंड्रीवाल न होने से परिसर काे रास्ता बना लिया है। मजबूरन प्रधानाचार्य को मुख्य गेट पर ताला डालना पड़ता हैं। बावजूद इसके स्कूल में बाहरी बच्चे दिनभर क्रिकेट खेलते हैं। छुट्टा मवेशी भी घूमते रहते हैं। प्रधानाचार्य राधा अवस्थी ने बताया की गर्मी में ही बाउंड्रीवाल टूट गइ थी बनने के लिए विभागीय काम किए जा रहे हैं।

इंद्रावखी में टंकी का पाइप जर्जर

महेवा क्षेत्र के प्राथमिक प्राथमिक विद्यालय इंद्रावखी में बच्चों को पानी पीने के लिए लगी टोंटियां बीते कई महीने से टूटी पड़ी हैं। टंकी में आपूर्ति करने वाले पाइप भी जर्जर हालत में है। इस स्कूल में 112 बच्चे पंजीकृत रहे हैं। हैंडपंप से बच्चे पानी पीते हैं। इसी गांव के उच्च प्राथमिक स्कूल की बाउंड्रीवाल कई वर्ष से अधूरी पड़ी है। परिसर में बड़ी-बड़ी घास उग आई है। इसमें छुट्टा मवेशी भी परिसर में घूमते रहते हैं। इसी तरह प्राथमिक स्कूल करपिया भी बाउंड्रीविहीन हैं।

कायाकल्प के तहत कराने होते है यह काम

कायाकल्प के तहत परिषदीय स्कूलों में पानी की व्यवस्था,बालिका-बालक शौचालय,शौचालय में पानी की व्यवस्था और टाइलीकरण , दिव्यांग शौचालय , मल्टीपल हैंडवासिंग, रंगाई-पुताई, सबमर्सिबल, चाहरदीवारी और रसोईघर सहित 19 कार्याें को करवाने के निर्देश है। इसमें एक निश्चित धनराशि तक का खर्चा स्कूल के प्रधानाचार्य करते हैं। अधिक खर्चे के लिए पंचायत से सहारा लेना पड़ता है। हालांकि पंचायत से एक बार काम होने के बाद उसके देखरेख और टूटफूट की जिम्मेदारी संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य की होती हैं।

जिले के परिषदीय स्कूलों में बाउंड्रीवाल बनाए जाने का कार्य तेज गति से चल रहा है। जहां टूट-फूट है वह भी सही कराई जा रही है। जिन स्कूलों में पेयजल को लेकर समस्याएं है। उन्हें वह अपने स्तर से जल्द दिखवाकर सही करवाएंगे। – डा. राजेश कुमार, बेसिक शिक्षा अधिकारी



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *