इटावा/सैफई। करीब साढ़े तीन साल पहले चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस के बाद से दुनिया उसे भूलने की स्थिति में थी। लेकिन एक बार फिर चीन में एवियन इंफ्लुएंजा एच 9 एन 2 के मामले सामने आने से केंद्र सरकार ने फिर चिंता व्यक्त की है। हालांकि कोरोना का डर जिले के जिम्मेदार भी भूल गए हैं। कोरोना के समय में किए गए अधिकांश इंतजाम धरातल पर नहीं दिख रहे हैं। हालांकि अधिकारियों का दावा है कि सतर्कता बरती जा रही है, जल्द ही सभी इंतजाम कर लिए जाएंगे। उधर, मेडिकल कॉलेज का भी दावा है कि उनकी ओर से पर्याप्त इंतजाम हैं।

कोरोना ने जहां पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। वहीं, जिले में भी 15 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। लगभग तीन सौ लोगों की जान तक चली गई थी। उस दौरान जिले में भी स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से अतिरिक्त कोविड वार्ड, ऑक्सीजन प्लांटों के साथ ही कन्संट्रेटरों (ऑक्सीजन के छोटे सिलिंडर) की व्यवस्था की गई थी। लेकिन समय बीतने के साथ जिम्मेदार कोरोना को भूल और इंतजाम धूल फांकने लगे।

यही वजह है जिला अस्पताल में लगा एक ऑक्सीजन प्लांट, बकेवर के 50 शैया अस्पताल में लगा प्लांट और सैफई मेडिकल कॉलेज के एक प्लांट समेत तीन ऑक्सीजन प्लांट खराब हैं। वहीं, जिला अस्पताल के 18 वेंटीलेटर उपयोग में नहीं लाए जा रहे हैं।

100 बेड अस्पताल में 20 बेड का है पीकू वार्ड

कोविड के दौरान जिला महिला अस्पताल के 100 बेड के एमसीएच विंग को कोविड अस्पताल का दर्जा दिया गया था। कोविड अस्पताल के प्रभारी डॉ. अरुण ने बताया कि यहां 20 बेड का पीकू वार्ड हैं। बेड तक ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए 750 लीटर का ऑक्सीजन प्लांट कोरोना की दूसरी लहर में बनाया गया था। यहां 40 बेड का आईसीयू वार्ड है, इसमें 20 बेड का पीकू वार्ड व 20 बेड जनरल है। जबकि 18 वेंटिलेटर हैं। जिसका एक कंपनी से अनुबंध है। रोज चलवाकर देखते हैं फाल्ट होने पर कंपनी के इंजीनियर ठीक करते हैं। अलार्म व मॉनीटर से पता चलता है कि इसमें खराबी है। यानी जैसे चलता है वैसा नहीं चलता है। अस्पताल में 120 ऑक्सीजन कन्संट्रेटर, 12 बड़े सिलिंडर और 45 छोटे सिलिंडर हैं।

छोटे बच्चों को लेकर बरतें विशेष सावधानी

जिला अस्पताल के बाल रोग चिकित्सक डॉ.शादाब आलम ने बताया कि यह नया वायरस है। इसके बारे में अभी ज्यादा कुछ तो मालूम नहीं लेकिन बच्चों पर इसका असर ज्यादा पड़ रहा है, ऐसा बताया जा रहा है। ऐसे में छोटे अथवा गोद के बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। गोद में खेलने वाले बच्चों को खांसी, जुकाम, बुखार होने पर गंभीरता से बरतते हुए चिकित्सक को जरूर दिखाएं। जिससे पता चले कि किस तरह की दवा व इलाज की जरूरत है। बच्चे यदि दूध न पीएं, सांस तेज चलने पर उन्हें अस्पताल में जरूर दिखाएं। उनके गालों को न चूमें। दिक्कत होने पर सूजन आ जाती है जो निमोनिया में परिवर्तित हो जाती है।

वर्जन

चीन में जिस बीमारी की बात हो रही है उसे निमोनिया बता रहे हैं। अभी शासन स्तर पर कोई निर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की अपनी ओर से पूरी तैयारी है। वार्ड से लेकर स्टाफ तक तैयार है। खराब ऑक्सीजन प्लांट को सही कराने के लिए पत्र लिखा गया है। -डॉ.गीताराम, सीएमओ

सैफई में चार महीने से खराब है एक ऑक्सीजन प्लांट

सैफई। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय तीन ऑक्सीजन प्लांट लगे हुए हैं। पीएम केयर फंड से लगाया गया ऑक्सीजन प्लांट खराब हो गया था, जो मरम्मत के बाद सही हो गया था। लेकिन चार माह से राज्य सरकार के दो ऑक्सीजन प्लांटों में से एक खराब है। ठीक कराने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने संबंधित कंपनी को अवगत कराया है। तीनों ऑक्सीजन प्लांट सही होने पर प्रति मिनट तीन लीटर ऑक्सीजन उपलब्ध होती है। लेकिन एक ऑक्सीजन प्लांट खराब होने के बावजूद जिम्मेदार विश्वविद्यालय प्रशासन इसे ठीक कराने की ओर ध्यान नहीं दे रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का दावा है कि उनके पास खुद के 200 वेंटिलेटर हैं। जबकि पीएम केयर फंड के 134 वेंटिलेटर हैं। वहीं, कोविड के दौर में लाए गए अधिकांश कंस्ट्रेटर स्टोर रूमों में धूल फांक रहे हैं। हालांकि मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दावा है कि हमारे पास पूरे इंतजाम है। यदि कोई दिक्कत होती है। हर तरह से निपटा जाएगा।

वर्जन

विवि के प्रभारी कुल सचिव चंद्रवीर सिंह का कहना है की ऑक्सीजन प्लांट खराब होने की जानकारी नहीं है। पीएम केयर फंड से बना हुआ ऑक्सीजन प्लांट की चार नवंबर को जांच हुई थी। हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं। किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं है। जो पीएम केयर फंड के वेंटिलेटर खराब थे। उन्हें सही कर दिया गया है।



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