इटावा। पचनद पर चंबल संग्रहालय का पांचवां स्थापना दिवस समारोह मनाया जा रहा है। दो दिवसीय आयोजन में चंबल के इतिहास, संस्कृति, पर्यावरण, समाज आदि से जुड़ीं महत्वपूर्ण सामग्री को समेटे संरक्षित धरोहरों की प्रदर्शनी आम जन के लिए लगाई गई है।

समारोह की शुरुआत रेखा देवी प्रधान, सिद्दीक अली, मनोज सोनी, वीरेंद्र सिंह सेंगर, राज कुमार द्विवेदी, अवधेश सिंह चौहान, प्रमोद सिंह सेंगर ने साझे तौर पर दीप जलाकर की। सांस्कृतिक विरासतों पर संग्रहित दो दिवसीय प्रदर्शनी पूरे चंबल अंचल में चर्चा का केंद्र बनी हैं। इसे लेकर स्थापना समारोह आयोजन समिति से जुड़े लोग खासा उत्साहित हैं।

अंचल के विकास क्रम को रेखांकित करती हुई दो दिवसीय प्रदर्शनी में चंबल अंचल से जुड़ा साहित्य, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े दुर्लभ दस्तावेज, चंबल अंचल से जुड़ी दुर्लभ वस्तुए, प्राचीन सिक्के, पत्र आदि प्रदर्शित की जा रही है। देश-विदेश के शोधार्थियों के बीच चंबल के समृद्ध और विविध इतिहास की पहुंच के लिए स्थापित संग्रहालय अपने शुरुआती दौर से मुफीद साबित हुआ है। यहां संग्रहित अमूल्य बौद्धिक संपदा का योगदान दर्जनों विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों को मिला है।

चंबल संग्रहालय के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि यह संग्रहालय समाज में बिखरे अमूल्य ज्ञान स्रोत सामग्री सहेजने के मिशन में जुटा है। चंबल प्रकाशन से अब तक मातृवेदी बागियों की अमरगाथा, बीहड़ में साइकिल, चंबल मेनीफेस्टो, आजादी की डगर पे पांव, कमांडर-इन-चीफ गेंदालाल दीक्षित, बंदूकों का पतझड़, मेरी जेल कहानी, कोरोना कारावास में युवा संघर्ष, बागी सम्राटः मान सिंह से लुक्का तक, भारत छोड़ते हुए छाती फट गई। चंबल पर्यटन आदि पुस्तकें छप चुकी हैं तथा सैकड़ों दस्तावेज डिजिटल संरक्षित किए गए हैं। उद्घाटन के अवसर पर राजेंद्र कुमार शर्मा, अमन, गोरेलाल, सुखवीर निषाद, अवलाख सिंह, टीका राम, मान सिंह, राम औतार तिवारी, जगदीश सिंह आदि मौजूद रहे।



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