चकरनगर। स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांवों की तस्वीरें बदलने के दावे भले ही की जा रहे हों, लेकिन हकीकत इससे दूर है। क्षेत्र के गांव ढकरा में जलभराव के इंतजाम न होने की वजह से गंदा पानी सड़कों पर रहता है। बजबजाती मुख्य सड़क से गंदे पानी के बीच से ग्रामीण निकलने को मजबूर हैं। लंबे समय तक गंदा पानी भरा रहने से लोगों को बीमारियां फैलने का डर सताता रहता है।
ढकरा गांव सालों से बदहाली झेल रहा है। मुख्य सड़क पर जलभराव होने से स्कूली बच्चों से लेकर महिलाओं, बुजुर्गों समेत सभी को परेशानी का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों के अनुसार, शिकायत के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने कहा कि नेता चुनाव आते ही दिखाई देने लगते हैं। वोट लेने के बाद कोई दिखाई नहीं देता। हम लोग नर्क की जिंदगी जी रहे हैं। अगर रास्ता नहीं बना तो अगले चुनाव में हम लोग मतदान नही करेंगे।
गांव के राजकुमारी बोलीं कि गांव में कोई खत्म हो जाए तो अंतिम संस्कार के लिए इसी दलदल में होकर जाना पड़ता है। रोते बिलखते बच्चे कीचड़ की वजह से स्कूल नहीं जा रहे हैं। सफाई कर्मचारी महीनों ने नहीं दिखा है। गांव के लोग पिछले 15 सालों से गांव के रास्तों पर कीचड़ की समस्या झेल रहे है। कई बार तो लोग फिसल कर गंदे पानी में गिरकर घायल भी हो चुके हैं। गांव में गंदे पानी का कीचड़ और दलदल के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा भी बढ़ गया है।
ग्रामीण दलवीर सिंह चौहान,रणजीत सिंह, सुरेश सिंह, मुन्नी सिंह, बबलू सिंह, सीलू सिंह, गोलू सिंह, गजाधर सिंह, रामजीत सिंह, दीपू सिंह, रामबरन सिंह, अतर सिंह,हरिशंकर नाथूराम मास्टर, संतोष सिंह, राम किशन, सजंय सिंह, राम सिंह, रविन्द्र सिंह, कविता देवी, संगीता कुमारी, आरती देवी, किशुमलता ने बताया कि कई बार जिम्मेदारों को सूचित कराया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। डीबीआरओ बनवारी लाल ने बताया कि स्थलीय निरीक्षण कर जलभराव से निदान का प्रयास कराएंगे।
क्या बोले ग्रामीण
सुरेश सिंह ने बताया मुख्यमंत्री पोर्टल से लेकर तहसील दिवस में कई बार शिकायत कर चुका हूं। अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। प्रधान जी कहते हैं मुझे वोट नहीं मिला। हम सड़क क्यों बनवाएं, जिसे वोट दिया उसी से बोलो सड़क बनवाने के लिए। वीरपाल सिंह ने बताया कि कई बार रास्ते की मरम्मत कराने की मांग कर चुके हैं पर प्रधान व सचिव की लापरवाही से समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। मरीजों को चारपाई पर रखकर निकालना पड़ता है। दाह संस्कार के समय लोगों को निकलने में बड़ी परेशानी होती है। सुनीता कुमारी ने बताया गांव का मुख्य सड़क मार्ग दलदल में तब्दील हो गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों को निकलने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एंबुलेंस गांव तक नहीं आ पाती। शांति देवी ने बताया बेटा गांव की सड़कें कीचड़ से भरी पड़ी है। हमारी जिंदगी तो अब पूरी हो गई। इस गांव का नरक खत्म नहीं हुआ। अब आप ही कुछ करा दो बेटा तो कम से कम मरते दम तो इस नरक से लोगों को मुक्ति पाते देख लें।