फोटो 02 ज्वैलरी बैग बनाना सिखाती फातिमा बेगम। संवाद

फोटो 03 फातिमा बेगम। संवाद

अपराजिता का लोगो लगाएं

-दिल्ली में अपनी बहन के घर पर रहकर एक कंपनी में लिया प्रशिक्षण

-उसके बाद एक कंपनी से रॉमैटेरियल लेकर तैयार कराती हैं ज्वैलरी पर्स

संवाद न्यूज एजेंसी

इटावा/ताखा। ज्वैलरी पर्स बनाकर सरसईनावर की फातिमा ने खुद को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही 18 अन्य महिलाओं को सशक्त बनाया है। ऐसे में घर में ही कुछ मशीनें लगाकर काम कर रहीं फातिमा 19 घरों का चूल्हा जलवा रही हैं।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनकर सरसईनावर गांव की फातिमा भी उभरी हैं। घर में खेती, सरकारी नौकरी और कोई अच्छा व्यवसाय न होने से आर्थिक स्थितियां कमजोर थीं। पति मजदूरी करके किसी तरह घर का भरण-पोषण करते थे। करीब पांच वर्ष पहले 2018 में फातिमा एनआरएलएम से जुड़ीं। यहां उन्होंने समूह के साथ काम किया, लेकिन स्थितियों में कोई खास सुधार नहीं हो पा रहा था। ऐसे में दिल्ली में रहने वाली बहन खातून बेगम ने उन्हें अपने पास आकर ज्वैलरी बैग का काम सीखने की सलाह दी। करीब एक साल पहले फातिमा बहन के पास दिल्ली चली गईं। यहां एक व्यापारी के यहां ज्वैलरी बैग बनाने का करीब एक महीने का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने व्यापारी के साथ ही घर से काम करने की बात कही। इस पर व्यापारी राजी हो गया। व्यापारी की ओर से दी गईं पांच इलेक्ट्रॉनिक मशीनों को फातिमा ने घर पर ही लगा लिया। शुरुआत में उन्होंने खुद काम किया। मांग बढ़ने पर उन्होंने गांव की अन्य महिलाओं और युवतियों को भी जोड़ना शुरू किया। इस समय गांव की करीब 12 महिलाएं और युवतियां अपने-अपने घरों में मशीनें लगाकर ज्वैलरी बैग तैयार कर रही हैं। वहीं करीब छह युवतियां फातिमा के यहां प्रशिक्षण ले रही हैं। इन्हें पर्स की गिनती के आधार पर फातिमा भुगतान भी करती हैं। फातिमा ने बताया कि इस काम में उनके दो बच्चे तस्लीम, रुखशार बानो व पति शराफत खां भी मदद करते हैं। चारों महीने में लगभग 30 हजार बैग तैयार कर लेते हैं। इससे उनकी करीब 21 हजार रुपये की पैदावार होती है। व्यापारी प्रति बैग 70 पैसे भुगतान करता है।

प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना लें लाभ::::

सरकार की ओर से अनुसूचित जाति की महिलाओं को लाभ देने के उद्देश्य से एनआरएलएम की ओर से प्रधानमंत्री अनुसूचित जाति अभ्युदय योजना चलाई जा रही है। एनआरएलएम के प्रभारी उपायुक्त ने बताया कि इस योजना के लाभ के लिए कम से कम पांच अनुसूचित जाति की महिलाओं का सूमह बना होना चाहिए। इसके बाद महिलाएं छपाई, पशुपालन, दूध डेयरी, सिलाई, कढ़ाई कम से कम प्रति महिला एक लाख रुपये की लागत का प्रस्ताव बनाकर देना होगा। अधिकतम 50 प्रतिशत की सब्सिडी इसमें दी जाती है। कोई भी महिला इस प्रोजेक्ट को शुरू नहीं कर सकती है। पांच महिलाओं के समूह को सबसे पहले विकास भवन में बने एनआरएलएम कार्यालय कमरा नंबर 35, समाज कल्याण का कार्यालय 62 में अपना प्रोजेक्ट जमा करना होगा। प्रस्ताव जमा होने के बाद डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय बैठक होगी। इसमें प्रोजेक्ट रिपोर्ट को देखकर उसे पास किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी सदस्यों समूह का ज्वाइंट एकाउंट की पासबुक होना आवश्यक है। साथ ही आधार, जाति प्रमाण पत्र, आय, पासबुक, मूल निवास प्रमाण पत्र भी देना होगा।



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