इटावा। जिला पुरुष अस्पताल में पीपीपी मॉडल में यूनिट 30 सितंबर 2019 को शुरू हुई थी। 12 बेड की डायलिसिस यूनिट फुल चल रही है। सुबह आठ से रात आठ बजे तक चार-चार घंटों की तीन शिफ्टों में रविवार को छोड़कर रोजाना 36 लोगों की डायलिसिस होती है। इसमें कुछ ऐसे मरीज भी हैं, जिन्हें सांस की परेशानी होती है।
अस्पताल में दिक्कत यह है कि डायलिसिस यूनिट में मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन पहुंचने की सुविधा नहीं है। ऐसी स्थिति में मरीजों को छोटे सिलिंडर से ऑक्सीजन दी जाती है। सिलिंडर की संख्या भी बेडों के लिहाज से बेहद कम यानी मात्र दो है। एक ऑक्सीजन सिलिंडर एक घंटे में ही खाली हो जाता है। अपने परिजनों की डायलिसिस कराने आने वाले लोगों का कहना है कि जब सारी सुविधाएं हैं, तो मरीजों के बेड तक ऑक्सीजन पहुंचने लगे तो और मरीजों की परेशानियां और कम हो सकेंगी।
जिला पुरुष अस्पताल में एक हजार लीटर क्षमता का ऑक्सीजन प्लांट लगा है। ऑक्सीजन प्लांट को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मरीजों के ऑक्सीजन की कमी पड़ने के दौरान पीएम केयर फंड से स्थापित किया गया था। जरूरत है कि ऑक्सीजन को पाइप के जरिए डायलिसिस यूनिट के कक्ष के प्रत्येक बेड तक पहुंचाया जाए। किसी मरीज की सप्ताह में दो दिन अथवा किसी की सप्ताह में तीन दिन डायलिसिस होती है।
लोगों की बात
मोहल्ला सिद्धार्थपुरी जसवंतनगर निवासी जनप्रिय सिंह ने बताया कि उनकी मां सरोज कुमारी (58) की जनवरी से लगातार डायलिसिस हो रही है। सप्ताह में दो दिन आना पड़ता है। सांस की परेशानी भी होती है, सर्दी में समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में सभी बेडों तक ऑक्सीजन पहुंचना जरूरी है। रेलमंडी जसवंतनगर निवासी जेनेश कुमार ने बताया कि पिता आजाद सिंह (48) को 31 दिसंबर से डायलिसिस कराने आ रहे हैं। सप्ताह में दो दिन सारा काम छोड़कर पिता को डायलिसिस कराने के लिए लाना पड़ता है। बताया कि बीपी और सांस की समस्या है। यूनिट में छोटा ऑक्सीजन सिलिंडर है। बिधूना जनपद औरैया निवासी आराधना ने बताया कि वह पिता रंजीत सिंह (48) की डायलिसिस कराने आई हैं। सप्ताह में दो दिन डायलिसिस होती है। किसी न किसी को साथ में आना होता है। करीब दो साल से पिता की डायलिसिस हो रही है। ऑक्सीजन की बात पर कहा कि यह मरीजों के लिए लाभप्रद होगा।
वर्जन
मरीजों की बेहतरी के लिए प्रयास कर रहे हैं। डायलिसिस यूनिट के हर बेड तक पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए विधायक व सांसद से व्यक्तिगत तौर पर मिलेंगे। अभी मरीज को दिक्कत होने पर छोटे सिलिंडर से ऑक्सीजन देनी पड़ती है। महज दो ही सिलिंडर हैं। एक घंटे लगे रहने पर सिलिंडर खाली हो जाता है। -पंकज कुमार, प्रभारी डायलिसिस यूनिट।