इटावा। आई फ्लू का दौर थमने और वायरल के जोर पकड़ने के बीच जिले में डेंगू ने भी दस्तक दे दी है। एक साथ सात मरीज मिलने से लोगों की चिंताएं बढ़नी शुरू हो गई हैं। इनमें तीन मरीज सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय में हुई एलाइजा जांच में मिले हैं। जबकि चार जिला अस्पताल में किट से हुई जांच में पॉजिटिव मिले हैं।
जिला अस्पताल के संक्रामक वार्ड में फिलहाल एक महिला व युवक समेत डेंगू के दो मरीज भर्ती हैं। एक को डॉ. अजय शर्मा ने व दूसरे को डॉ. शांतनु निगम ने भर्ती कराया है। ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू मरीज मिलने के बाद मलेरिया विभाग गांवों में एंटी लार्वा दवा का छिड़काव कराने का दावा कर रहा है। जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों में उदयपुरा की संध्या ने बताया कि बुखार आने पर जिला अस्पताल में किट से हुई जांच में डेंगू निकला। हालांकि अभी प्लेटलेट्स घटने जैसी कोई समस्या नहीं है। उन्हें डॉ. अजय शर्मा ने भर्ती कराया है।
गांव सरसईनावर के शिवकांत ने बताया कि वह पुणे में पिता के पास था। बुखार आने पर जांच कराई तो डेंगू निकला था। सीने में दर्द होने की शिकायत थी। डॉक्टर शांतनु निगम ने जांच की सलाह दी थी। शहर स्थित शांती कॉलोनी निवासी 55 वर्षीय मालती देवी व कचौरा रोड निवासी 20 वर्षीय प्रदीप में किट से जांच में डेंगू पाया गया है। इनके सैंपल एलाइजा जांच के लिए सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय भेजे जाएंगे। सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय में एलाइजा जांच में तीन मरीजों के डेंगू होने की पुष्टि हो चुकी है। इनमें सैफई क्षेत्र के गांव रसैयापुरा का 22 वर्षीय युवक अतुल कुमार, सैफई हॉस्पिटल का 28 वर्षीय मो. कासिम व गांव नगला लाक्षी के 50 वर्षीय महाराज सिंह शामिल हैं।
किट से रोजाना 10 से 15 लोगों की हो रही डेंगू जांच
जिला पैथोलॉजी प्रभारी डॉ.नीतू द्विवेदी के अनुसार, रोजाना करीब 10 से 15 लोगों की किट से डेंगू व 30 से 40 मरीजों की मलेरिया की जांच हो रही है। डेंगू और मलेरिया की जांच किटें उपलब्ध हैं। प्रभारी मलेरिया अधिकारी आशीष राना ने बताया कि जिन गांवों में डेंगू के मरीज मिले हैं, वहां पर टीमें भेजकर एंटी लार्वा का छिड़काव करवा रहे हैं। जबकि बुखार के मरीजों की जांच की जा रही है।
पिछले साल सरकारी आंकड़ों में मिले थे 104 डेंगू मरीज
पिछले साल 2022 में जिले में करीब तीन सौ से अधिक डेंगू मरीज मिले। जबकि सरकारी आंकड़ों में यह संख्या 104 थी। पिछले साल डेंगू मरीजों के निकलने का सिलसिला शुरू हुआ जो फरवरी के दूसरे सप्ताह तक चला था। तब जिले में डेंगू मरीजों की बढ़ती संख्या को लेकर छह सदस्यीय केंद्रीय डॉक्टरों की टीम को जिला अस्पताल का निरीक्षण करने आना पड़ा था।