इटावा। दिल्ली-एनसीआर के हालातों को देखकर जिले के लोग चेत चुके हैं। यही वजह रही कि दिवाली पर जिले का एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) बढ़ने की जगह कम हो गया। इससे प्रदूषण कम हो गया। त्योहार पर कृषकों के भी व्यस्त होने से पराली की घटनाएं भी कम हुई हैं। इससे काफी राहत मिली है।

दिवाली के जश्न में इस बार जिले की आबोहवा ज्यादा प्रदूषित नहीं हुई है। बीते साल की तुलना में इस बार न सिर्फ वायु प्रदूषण कम हुआ बल्कि शहर और ग्रामीण क्षेत्र से पटाखों का कचरा भी कम निकला है। पटाखा कारोबारियों के अनुसार, महंगाई के चलते इस बार पटाखों की बिक्री पिछले साल से कम रही है। कई कारोबारियों के पास पटाखों का स्टॉक बच गया है।

दिवाली के दो दिन पहले 11 नवंबर को शहर का एक्यूआई 241 तक पहुंच गया था, लेकिन दिवाली के दिन तक एक्यूआई सिर्फ 57 रह गया। इससे फौरी तौर पर तो प्रशासन ने राहत की सांस ली है, लेकिन पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ने से प्रशासन चिंतित है। अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं।

आठ दिनों में कुछ इस तरह रहा जिले का एक्यूआई

तारीख औसतन एक्यूआई

सात नवंबर 240-244

आठ नवंबर 213-222

नौ नवंबर 220-226

दस नवंबर 240-241

11 नवंबर 60-65

12 नवंबर 53-57 13 नवंबर 55-58

14 नवंबर 78-83

इन वजहों से कम हुआ है प्रदूषण

– दिवाली के एक दिन पहले पटाखे चलाने का सिलसिला शुरु हो जाता था लेकिन इस बार छोटी दिवाली पर पटाखे नहीं चलाए गए। दिवाली के दिन भी रात नौ से 11 बजे तक पटाखे चलाए गए।

पिछले वर्षों में देखा गया कि दिवाली के दिनों में आसमान में बादलों का डेरा रहता था। इससे प्रदूषण ऊपर नहीं जा पाता था। प्रदूषण कोहरे के रूप में कई दिनों तक रहता था। लेकिन, इस बार मौसम के साफ रहने से प्रदूषण के कण ऊपर चले गए।

– इस बार पटाखों पर महंगाई की मार देखने को मिली। पटाखा कारोबारियों के अनुसार इस बार बीते वर्ष की तुलना में मनमुताबिक बिक्री नहीं हो सकी। बड़ी मात्रा में पटाखे गोदाम में रखे हैं।

– त्योहारी सीजन में घर के कामकाजों में व्यस्त होने की वजह से किसानों ने पराली कम मात्रा में जलाई।

ग्रीन पटाखे कम करते हैं प्रदूषण

इस बार त्योहार की आतिशबाजी के लिए लोग जागरूक दिखे। पर्यावरण प्रदूषित न हो इस बात का ख्याल रखते हुए उन्होंने ग्रीन पटाखे चलाए। इस बार दशहरे पर भी काफी ग्रीन पटाखों की बिक्री हुई थी। ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों से बिल्कुल अलग होते हैं। यह जहरीले बेरियम यौगिकों से रहित होते हैं और 30 प्रतिशत कम प्रदूषण पैदा करते हैं। यह पटाखे वायु को कम प्रदूषित करते हैं। ग्रीन पटाखे ना सिर्फ आकार में छोटे होते हैं, बल्कि इन्हें बनाने में रॉ मैटीरियल (कच्चा माल) का भी कम इस्तेमाल होता है।

वर्जन

पटाखे कम चलाकर जागरूक जिलेवासियों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई है। अब हमारे किसान भाइयों को पराली न जलाने का संकल्प लेना होगा। तभी जिले की स्थितियां सुधर सकेंगी। पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है। -अभिनव रंजन श्रीवास्तव, एडीएम



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