बसरेहर। एक ओर प्रदेश व केंद्र सरकार परिषदीय स्कूलों की स्थिति सुधारने के मकसद से लगातार तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन करने में जुुटी है। वहीं, विकासखंड क्षेत्र के ग्राम गुलाबपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय के बच्चे जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंचते हैं। गांव का गंदा पानी भरने से विद्यालय पूरी तरह से टापू बन गया है। ऐसे में बच्चों को मार्ग विद्यालय आने-जाने के लिए नाली की दीवार पर चढ़कर निकलना पड़ रहा है। इससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
विकासखंड क्षेत्र के ग्राम गुलाबपुरा स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में जलभराव होने से स्कूल में पढ़ने वाले नौनिहालों के बीमार होने का खतरा मंडरा रहा है। स्कूल में जलभराव हुए महीने भर से अधिक का समय बीत चुका है लेकिन जिम्मेदारों ने इसकी सुध नहीं ली। इस स्कूल में 21 नौनिहाल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। पानी का निकास न होने और परिसर के नीचे होने से पूरे गांव का गंदा पानी यहीं एकत्रित होता रहता है।
बच्चों को शिक्षण कक्ष में पहुंचने के लिए नाली के किनारे पतली सी दीवार से होकर गुजरना पड़ता है। बरसात में इस पर कभी बच्चे फिसलकर गिर जाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों समेत कई अधिकारी स्कूल में आते-जाते रहते हैं लेकिन महीनों पुरानी इस समस्या की ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण विद्यालय टापू सरीखा नजर आने लगा है। विद्यालय के दोनों कमरे जर्जर हालत में हैं, छतों से पानी टपक रहा है। रसोई घर का भी बुरा हाल है। परिसर में भरे गंदे पानी के कारण बदबू और मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ रहा है। अभिभावकों को डर है कि गंदगी के कारण कहीं उनके बच्चे संक्रमण बीमारियाें की चपेट में न आ जाए। बीते दिनों बेसिक शिक्षा विभाग ने जर्जर भवन में शिक्षण कार्य न करने के निर्देश दिए थे बावजूद इसके बच्चों को जर्जर भवन में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है।
वर्जन
ग्रामीणों के झगड़े की वजह से नाली से जलनिकासी न होने के कारण गंदा पानी विद्यालय परिसर में भरा है। इसके लिए अन्य अधिकारियों से बातचीत की गई है। नायब तहसीलदार ने भी निरीक्षण किया है। एक बार परिसर से पानी की निकलवाया भी जा चुका है। जल्द ही स्थायी समाधान कर विद्यालय परिसर को दुरुस्त कराया जाएगा। -डॉ. राजेश कुमार, बीएसए