इटावा। आयुर्विज्ञान विवि ग्रामीण सैफई में बन रहे 500 बेड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल का नवंबर तक काम पूरा करना निर्माण इकाई के लिए चुनौती होगा। अभी तक अस्सी प्रतिशत काम पूरा हुआ है। एक माह में 20 प्रतिशत काम होना है। वहीं 2015-2017 के बीच काटी गई वेट की 14.82 करोड़ रुपये की धनराशि निर्माण निगम की फंसी होने से बजट के अभाव में काम रुकने की भी आशंका है।

सपा शासकाल ने 2014 में उप्र आयुर्विज्ञान विवि ग्रामीण में 500 बेड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनने की स्वीकृति दी गई थी। यह 537.26 करोड़ रुपये बनाया जाना है। इसकी जिम्मेदारी निर्माण निगम को दी गई थी। इसके बजट की धनराशि से 2015 से 2017 के बीच इकाई की करीब 14.82 करोड़ रुपये वैट के रूप में वाणिज्य कर विभाग ने काटी थी। इसकी रिटर्न के लिए विभाग की ओर से भरने के बावजूद रुपये की धनराशि नहीं मिल सकी है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मई में निर्माणाधीन 500 बेड अस्पताल का निरीक्षण किया था। उन्होंने निर्माण इकाई को नवंबर तक हर हाल में अस्पताल का काम पूरा कराकर शुभारंभ कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद से इकाई की ओर से काम तेजी से किया जाने लगा। वर्तमान में करीब सात सौ मजूर निर्माण कार्य कर रहे हैं। अभी तक 80 प्रतिशत काम पूरा हुआ है। 20 प्रतिशत काम बचा है। ऐसे में नवंबर तक काम पूरा होना चुनौती माना जा रहा है। वहीं 14.82 करोड़ रुपये का वैट की धनराशि फंसी होने की वजह से अंतिम फिनीशिंग का काम भी फंसने की आशंका जताई जा रही है। भुगतान के लिए लगातार निर्माण इकाई के अधिकारी पत्र लिख रहे हैं, लेकिन फिर भी अभी तक धनराशि लौटाई नहीं गई है।

विभाग के साथ कमिश्नर तक को लिखे जा चुके हैं पत्र::::

निर्माण इकाई की ओर से लगातार पत्राचार किया जा रहा है। तत्कालीन डीएम श्रुति सिंह को पत्र लिखा गया था। उन्होंने वाणिज्य विभाग के अधिकारियों को भी पत्र लिखकर समाधान कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद समाधान नहीं हो सका। वहीं 26 सितंबर को निर्माण इकाई की ओर से मंडलायुक्त कानपुर को पत्र लिखकर वैट की धनराशि लौटवाने का आग्रह किया गया है। इसमें कहा गया है कि वैट की धनराशि को दिलाने की कृपा करें। ताकि समय से काम पूरा किया जा सके। इसमें अस्पताल का शुभारंभ करने के लिए प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री आने की संभावना का भी हवाला दिया गया है।

इस तरह बढ़ा बजट::::

सपा शासनकाल ने 2014 में 500 बेड सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल बनवाने का फैसला लिया था। उस समय इसकी लागत लगभग 333.56 करोड़ आंकी गई थी। 2016 में यह बढ़कर 463.28 करोड़ रुपये हो गई। 2018 में इसकी लागत 537.26 करोड़ रुपये हो गई।

वर्जन

निर्माण इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर एके सिंह ने बताया कि वैट की 14.82 करोड़ रुपये की धनराशि रिटर्न नहीं आई है। उसके लिए पत्राचार लगातार किया जा रहा है।



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