इटावा। पिछले दिनों लखनऊ में रेलवे कॉलोनी में एक जर्जर मकान की छत गिरने से पांच लोगों की लोगों की हुई मौत के बाद स्थानीय रेलवे कर्मियों की चिंता भी अपने बदहाल मकानों को लेकर बढ़ गई है। बारिश में सभी मकानों की छतों से पानी टपकता रहता है।
इटावा में रेलवे की कुल पांच कॉलोनियां हैं, इनमें न्यू रेलवे कॉलोनी, एईएन कॉलोनी, जीएसएस कॉलोनी, ओएचई कॉलोनी व माल गोदाम रोड कॉलोनी हैं। जिनमें करीब 300 मकान हैं, जिनमें रेलवे कर्मचारियों के परिवार रह रहे हैं। गुुरुवार को न्यू रेलवे कॉलोनी के आवासों का जायजा लेने पर कर्मियों की परिजनों ने बताया कि मकान में मजबूरी में मुश्किल भरे हालातों में रहना पड़ रहा है। कहने को न्यू रेलवे कॉलोनी है, पर 1949 में बनी कॉलोनी के 74 वर्ष बाद हालात काफी बदतर हैं। बारिश के दिनों में रहने दूभर हो जाता है। साथ ही अन्य समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। सबमर्सिबल का कनेक्शन काटे जाने की वजह से करीब महीने भर से पानी का संकट बरकरार है। सड़कें ऊबड़-खाबड़ हैं। साफ-सफाई भी नहीं होती है।
लोगों की बात
न्यू रेलवे कॉलोनी के 101 सी ब्लॉक में प्वाइंट्स मैन आदर्श यादव रहते हैं। पत्नी श्वेता यादव ने बताया कि पति करीब सात साल से नौकरी में हैं। बारिश के दिनों में कमरे में दीवार के किनारे से पानी कमरे में आता है। तीन दिन पूर्व सर्वे टीम मकान का निरीक्षण कर चुकी है। कहा कि मकान रहने लायक नहीं है। इसी कॉलोनी के 98 बी ब्लॉक में रहने वाले शंटिग मैन हाकिम सिंह की पत्नी लक्ष्मी देवी ने बताया कि पहले जीआरपी के पास मकान में रहते थे। जिन्हें खाली कराने के बाद तोड़े जाने की वजह से खाली कर दो महीने से इस मकान में रह रहे हैं। पिछले दिनों बारिश के दौरान काफी परेशानी उठानी पड़ी। रेलवे कॉलोनी के 99 ए मकान में रहने वाले प्वाइंट्स मैन शिव किशोर की मां ऊषा देवी ने बताया कि करीब सात साल से इस मकान में रह रहे हैं। बारिश के दौरान जर्जर छत से पानी टपकता है। इससे किचन से लेकर हर कमरे में पानी भर जाता है। बारिश के पानी से कमरे का सामान बचाने के लिए छत पर पन्नी डालने पड़ी है। रेलवे मैंस यूनियन के शाखा मंत्री दलेल सिंह ने कहा कि वह भी न्यू रेलवे कॉलोनी में रहते हैं। कोई भी मकान रहने योग्य नहीं है। इस संबंध में एईएन व आईओडब्ल्यू को अवगत कराने पर कहा कि टेंडर हो चुके हैं, ठेकेदार नहीं आ रहा है। आरोप है कि ठेकेदार बराबर कुछ न कुछ कार्य करा रहा है। कॉलोनी में सड़क, गंदगी और पेयजल जैसी कई अन्य समस्याएं भी हैं, कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। कहा कि लगभग सभी कॉलोनियों के मकान रहने योग्य नहीं है।
वर्जन
पांच रेलवे काॅलोनियां हैं, जिनमें करीब 300 मकान हैं। कई दिन से कॉलोनियों के मकानों की ताजा स्थिति को लेकर सर्वे कार्य करा रहे हैं। दो-तीन दिन में सर्वे कार्य पूरा हो जाएगा, तभी पता चलेगा कि कितने मकान रहने योग्य हैं। -कमलेश पंडित,आईओडब्ल्यू, इटावा।