इटावा। नाग पंचमी सोमवार को होने से इस पर्व का महत्व और बढ़ गया है। पुरबिया टोला में इस दिन मेला लगता है। वर्षों पुराने इस मेले में पहले कभी दंगल होते थे और महापुरुषों के चित्रों की प्रदर्शनी लगती थी। छोटी-छोटी बालिकाएं घर से कपड़ों से बनीं गुड़ियां लेकर आती हैं, जिन्हें बच्चे रंगे हुए डंडों से पीटते हैं। नाग पंचमी के मौके पर शहर में एकमात्र मेला पुरबिया टोला में जियालाल मंदिर के पास मेला का आयोजन होता है। जो वर्षों पुराना है, मेला में बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगते हैं। सावन में महिलाओं के हाथ के अंगूठे और अंगुली से बंटी सिवईयां सिर्फ पुरबिया टोला में बनाई जाती है।
पुरबिया टोला निवासी समाजसेवी व कारोबारी श्रीनिवास वर्मा ने बताया कि नाग पंचमी के मौके पर लाला नानक चंद्र ट्रस्ट की ओर से संचालित जिया लाल मंदिर में भगवान भोलेनाथ का शृंगार किया जाता है। मेला लगता है, पहले दंगल भी हुआ करते थे, लेकिन अब बंद हो चुके हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले लगते हैं। बच्चे मेले में आकर मनोरंजन करते हैं। कहा कि खुशनसीब हैं कि उन्हें पुरबिया टोला में रहने का अवसर मिला। जहां हर पर्व को मनाने का अपना अलग ही अंदाज है। खुशी की बात यह है कि नाग पंचमी का मेला उनके घर के ठीक सामने लगता है। जब यह मेला लगता है तो बचपन याद आ जाता है। बच्चों को झूलते और उन्हें खिलाते हुए देख बड़ी खुशी मिलती है।
समाजसेवी व समाज उत्थान समिति के अध्यक्ष डॉ.हरीशंकर पटेल ने बताया कि पुरबिया टोला में नाग पंचमी के दिन वर्षों पूर्व से मेला लगता आ रहा है। लेकिन समय के चलते मेला में काफी बदलाव आ गया है। पहले दंगल होते थे, जो आधुनिक युग के दौर में टीवी और मोबाइल क्रांति की वजह से दंगल होना बंद हो चुके हैं। भवानी बगिया में महापुरुषों के चित्रों की प्रदर्शनी लगती थी। लेकिन यह प्रदर्शनी भी लगना बंद हो चुकी है। कहा कि नाग पंचमी का मेला सामाजिक एकता कायम रखने और आपसी मतभेद दूर करने वाला है। मेले में जो भी बुजुर्ग आते थे, उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे। महिलाएं भी एक दूसरे से मिला करतीं थीं। इसी बहाने से सभी एक दूसरे से मेल मिलाप कर लिया करते थे।