इटावा। शहर में जिला अस्पताल रोड पर नगर पालिका ने लोक निर्माण विभाग की बिना एनओसी के ही दुकानें बना दीं। उसके साथ ही उनका धांधली करके आवंटन भी कर दिया गया। नियमों पर ताक पर रखकर नगर पालिका के अधिकारियों, कर्मचारियों ने अपनों को दुकानें दे दी हैं। ऐसे में करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। मामले की शिकायत होने के बाद डीएम ने एसडीएम को जांच सौंपी है।

जिला अस्पताल रोड पर नगर पालिका की ओर से दुकानें काटी गई हैं। उन पर निर्माण भी हो रहा है। इस पर लोक निर्माण विभाग की ओर से आपत्ति जताई गई है। निर्माण खंड 1 के अधिशासी अभियंता ने डीएम को पत्र लिखा है। इसमें कहा कि डीएम चौराहे से जिला अस्पताल होते हुए सरैया चुंगी तक मार्ग किनारे नगर पालिका ने दुकानें काटी हैं। इनका निर्माण भी कराया जा रहा है। इसके लिए नगर पालिका की ओर से विभाग से एनओसी नहीं ली है।

भविष्य में इस मार्ग पर यातायात घनत्व बढ़ने की पूर्ण संभावना होने की वजह से चौड़ीकरण करने में कठिनाई होगी। विभाग ने तत्काल दुकानों का निर्माण रोके जाने की मांग की है। निर्माण कार्य न रोके जाने पर कार्रवाई के लिए चेताया है। वहीं दुकानों को बिना टेंडर, विज्ञप्ति, नीलामी प्रक्रिया के ही कर्मचारी, सभासदों ने अपने परिवार के लोगों को ही बिना प्रीमियम जमा कराए 15 से 20 दुकानें आवंटित किए जाने का मामला प्रकाश में आया है।

वहीं, चेयरमैन ज्योति गुप्ता ने भी पत्र लिखकर आचार संहिता और नई सरकार बनने के बाद कुछ दुकानों को गुपचुप तरीके से आवंटन करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने पत्र में कहा है कि इन दुकानों की कोई भी पत्रावली नगर पालिका में नहीं है। कई दुकानों को दिए जाने के एवज में डेढ़ लाख रुपये प्रीमियम धनराशि की भी रसीदें न होने की बात कही है। ऐसे में लाखों रुपये का नगर पालिका के राजस्व को नुकसान होने की बात भी कही है। इस संबंध में शिकायत होने के बाद डीएम ने एसडीएम को जांच सौंपी है। वहीं, नगर पालिका में छह जुलाई को राजस्व लिपिक पटल बदला गया है। इसके बाद नए लिपिक ने कागजात पूर न होने के संबंध में चेयरमैन और ईओ को रिपोर्ट सौंपी है।

मालगोदाम रोड से हटाई गई दुकानों के मालिकों को भी लाभ नहीं

2005 में मालगोदाम रोड पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाकर पालिका की कुछ दुकानों को तुड़वाया गया था। उस समय प्रशासनिक अधिकारियों ने इन दुकानदारों को जिला अस्पताल रोड पर दुकानें आवंटिल करने का आश्वसन दिया था। इसके बावजूद टूटी दुकानों के मालिकों को इस योजना का लाभ नहीं मिल सका। यही वजह है कि कुछ दुकानदारों ने इस संबंध में न्यायालय की शरण ली हुई है।

मत्स्य महाविद्यालय के प्राचार्य ने भी जताई थी आपत्ति

जिला अस्पताल रोड पर ही मत्स्य महाविद्यालय संचालित है। दुकानों का निर्माण महाविद्यालय के बाहर पड़ी नजूल की भूमि पर कराए जाने पर प्राचार्य ने भी आपत्ति जताते हुए प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत की थी। इसमें दुकानों का निर्माण रुकवाने की मांग की थी।

तत्कालीन पटल लिपिक पर पुत्रों को पांच दुकानें आवंटित करने का आरोप

शिकायतों में तत्कालीर राजस्व पटल लिपिक और लेखाकार पर सांठगांठ पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। बताया गया कि तत्कालीन राजस्व लिपिक ने अपने पुत्रों के नाम ही पांच दुकानों का आवंटन गलत तरीके से करा लिया है। इनकी पत्रावलियां भी नगर पालिका से गायब है। मामला संज्ञान में आने के बाद नगर पालिका प्रशासन में खलबली मची हुई है।

वर्जन

शिकायत मिलने के बाद एसडीएम सदर को जांच के आदेश दिए गए हैं। जांच होने तक बची दुकानों के आवंटन पर भी रोक लगाई गई है। जांच में धांधली होने की बात सामने आने पर संंबंधित सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। -अभिनव रंजन श्रीवास्तव, एडीएम



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