इटावा। भाई-बहन के परस्पर स्नेह प्रेम का पर्व रक्षा बंधन गुरुवार को शहर से लेकर जिले भर में उल्लास पूर्वक मनाया गया। भद्रा की वजह से रक्षाबंधन एक नहीं दो दिन मनाया गया। बुधवार की रात नौ बजे के बाद बहनों ने भाइयों का तिलक कर उनकी कलाई पर आकर्षक राखी बांधकर मुंह मीठा कराया। बदले में भाइयों ने श्रद्धानुसार मुद्राएं अथवा उपहार देकर सदैव रक्षा करने का वचन दिया। बहनों ने भी भाइयों के दीर्घायु होने और निरंतर प्रगति करने की कामना की।

गुरुवार सुबह से ही जिले में रक्षाबंधन की धूम रही। जो बहनें किन्हीं कारणवश बुधवार रात राखी नहीं बांध सकीं, उन्होंने गुरुवार सुबह भाइयों को राखी बांधी। इस वजह से दूसरे दिन रक्षाबंधन पर्व को लेकर घरों में खुशियां व्याप्त रहीं। बच्चे चहकते हुए एक दूसरे को कलाई में बंधी राखी दिखाते रहे। शहर में पक्का तालाब के किनारे वर्षों से लगते आ रहे श्रावणी मेला में भी लोग सपरिवार भुजरिया लेकर पहुंचे और श्री जागेश्वरनाथ महादेव के दर्शन कर उन्हें भुजरियां अर्पित करते हुए परिवार में खुशहाली बनाए रखने और उन्नति की कामना की।

इसके बाद मेला में मिले प्रियजनों को भुजरियों की बालियां देकर गले लगाकर उन्हें रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद भुजरियों को तालाब के किनारे भुजरियों को विसर्जित किया। इसके बाद सभी ने मेला का लुत्फ उठाया। बच्चों ने झूलों का आनंद लिया। मिक्की माउस पर उछलकूद करते रहे। खान- पान में चाट पकौड़े का सेवन किया। मेला में लगीं खिलौने की दुकानों से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर घरों में सजाई जाने वाली झांकी के लिए मिट्टी के खिलौनों की खरीदारी की।

बकेवर प्रतिनिधि के अनुसार, रक्षाबंधन का त्योहार कस्बा बकेवर, लखना और लवेदी समेत ग्रामीण क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया गया। गुरुवार की सुबह बहनों ने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। नहर और तालाब में भुजरिया विसर्जित की गईं। इस बार रक्षाबंधन का त्योहार बुधवार की रात 9:02 बजे से गुरुवार सुबह 7:05 बजे तक ही था। दिन भर कस्बे से लेकर देहात तक मिठाई की दुकानें सजीं रहीं। बहनों ने मिठाई और राखी की खरीदारी की। बहनों का भाइयों के घरों पर आने का क्रम दिनभर बना रहा। भाइयों ने बहनों की लंबी उम्र की कामना की।

जिले में भरथना, जसवंतनगर, ताखा, ऊसराहार, चकरनगर, बसरेहर, सैफई, निवाड़ीकला, उदी, इकदिल आदि ग्रामीण क्षेत्रों में हर्षोल्लास से रक्षाबंधन मनाया गया। तालाब और नहरों में भुजरियां विसर्जित कीं।



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