इटावा। महेवा के मुकुटपुर गांव में बुखार, टायफाइड और मलेरिया ने पैर पसार लिए हैं। करीब तीन सौ लोग बुखार, खांसी, जुकाम, टायफाइड आदि की चपेट में है। इससे दहशत का माहौल का है। बजबजाती नालियां और जलभराव में पनप रहे मच्छर बीमारियों का कारण माना जा रहा है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डेढ़ सौ लोगों को उपचार दिया है।

संक्रामक रोगों के लिए भले ही अभियान चलाए जा रहे हों, लेकिन जमीनी हकीकत पर इसका खासा असर नजर नहीं आ रहा है। गांवों में फैली गंदगी से लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। महेवा ब्लाक के गांव मुकुटपुर की आबादी लगभग साढ़े तीन हजार है। इसमें से करीब तीन सौ लोग बीमारियों की चपेट में आ गए हैं। हर दूसरे घर में कम से कम एक व्यक्ति बीमार हैं। कई जगह पूरा-पूरा घर बीमार पड़ा है।

शनिवार प्रधान की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जाकर शिविर लगाया। इसमें करीब इसमें 98 लोगों को बुखार था। इसमें टाइफाइड और मलेरिया के लक्षण मिले हैं। वहीं आई फ्लू से पीड़ित 45 मरीज तथा बाकी मरीजों को 15 से 20 मरीज खांसी जुखाम से पीड़ित थे। इन सभी के रक्त के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेजे गए हैं। बड़ी संख्या में मरीज आसपास के झोलाछापों और डॉक्टरों से भी इलाज करा रहे हैं।

डॉ. अभिषेक मौर्य के नेतृत्व में डॉ. जितेंद्र अभिनय, एलटी विनय, रिंकू, आयुष्मान मित्र विक्की तिवारी समेत टीम मौजूद रही। डॉ. अभिषेक ने बताया कि कुछ मरीजों के डेंगू के लिए भी सैंपल लिए गए हैं। ग्राम प्रधान लाल सिंह कुशवाहा ने बताया कि उनके पास जलनिकासी का इंतजाम कराने के लिए पर्याप्त फंड नहीं है। जनप्रतिनिधियों से मद्द के लिए गुहार लगाई है। बड़े नाले के निर्माण के बाद ही समस्या का समाधान हो सकेगा।

अमर उजाला की टीम जब शनिवार को पड़ताल करने पहुंची तो घर-घर चारपाई बिछी दिखीं। कोई चारपाई पर लेटकर ग्लूकोज चढ़वा रहा था तो कोई उस पर लेटकर कराह रहा था। गांव के आदेश कुमार अपने दरवाजे पर बैठे थे उन्होंने बताया कि करीब 15 दिन पहले उसके घर में उसकी पत्नी, मां एवं भाई को बुखार ने बुरी तरह अपनी चपेट में ले लिया था। पड़ोसी पुष्पा राठौर ने बताया उसकी पुत्री अवंती (18) एवं उसके जेठ की बेटी सरिता (22) को एक सप्ताह पूर्व बुखार आया था। उपचार बकेवर के प्राइवेट चिकित्सक के यहां चल रहा है। इन दोनों की प्लेटस काफी नीचे जा चुकी हैं। करीब 40 हजार रुपये खर्च हो चुके हैं। बताया कि वह भी दो दिन बुखार में रही थीं, लेकिन अब ठीक हैं।

आगे अंदर गली में टीम पहुंची तो गांव की संध्या राठौर (41) अपने घर पर चारपाई पर लेटी थीं। पूछने पर बताया कि एक सप्ताह से बुखार से पीड़ित हैं। निजी डॉक्टर को दिखाया है। उन्होंने डेंगू के लक्षण बताए हैं। पड़ोस के ही घर में भाई जयंत (25) और पप्पी (15) भी बुखार की चपेट में थे। जयंत ने बताया कि करीब पांच दिन पहले दाेनों को बुखार आया था। पूरे शरीर में टूटन है। महेवा के प्राइवेट चिकित्सक के यहां से इलाज करा रहे हैं।

गांव के मुकेश शाक्य (35) व उनकी पत्नी सुनीता (30) घर के दरवाजे पर खाट डालकर बैठे थे। दोनों ने बताया कि करीब तीन दिन पहले बुखार आया था। महेवा के निजी चिकित्सक के यहां इलाज कराया है। थोड़ा आराम है पर कमजोरी बहुत आ गई है। सरकारी अस्पताल से बेहतर कस्बे के निजी डॉक्टर हैं इसलिए उन्हें ही दिखा लेते हैं। पड़ोस में रहने वालीं रचना शाक्य (25) बुखार से पीड़ित थीं। निजी डॉक्टर को दिखाया है उसने डेंगू के लक्षण बताए हैं। बहुत कमजोरी है। हाथ पैरों में टूटन हो रही है।

गीता शाक्य (35) वर्ष उसने बताया उसे दो दिन पहले बुखार आ गया था अहेरीपुर निजी चिकित्सक को दिखाया( डॉक्टर के हिसाब से उसे डेंगू के लक्षण हैं। पूर्व प्रधान ब्रजकिशोर साख के घर में रेखा, बेटा अभिराज बुखार से पीड़ित हैं। पूरे शरीर में टूटन के साथ बदन दुख रहा है।



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