इटावा। वायरल की मारक क्षमता इस बार पिछले सालों से अधिक है। इस बार का वायरल शरीर को तोड़कर लोगों को दो से तीन दिन में ही बेजान सा कर दे रहा है। वहीं, कंपकपी देकर बुखार आ रहा है। छह से सात दिन तक यह बुखार रह रहा है। ऐसे में डॉक्टरों में बीच में इलाज न छोड़ने की सलाह दी है। वहीं, डॉक्टर के अनुसार, पिछले सालों में डेंगू की चपेट में आए लोगों को अधिक सतर्क होने की जरूरत है।
इस वर्ष संक्रामक रोग जिले में तेजी से पैर पसारे हुए हैं। डेंगू, मलेरिया के साथ ही वायरल भी लोगों को बेदम कर रहा है। घर-घर लोग बीमार हैं। इस बार खास तौर पर वायरल ने अपना स्वरूप बदला हुआ है। सैफई मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक प्रो. डॉ. एसपी सिंह बताते हैं कि पिछले सालों की अपेक्षा वायरल की मारक क्षमता भी अधिक है। कंपकपी देकर तेज बुखार आ रहा है। पूरे बदन में दर्द के साथ ही पेट और छाती में जलन भी महसूस हो रही है। उम्रदराज मरीजों की तेजी से प्लेटलेट्स भी कम कर रहा है। इससे व्यक्ति दो से तीन दिन के बुखार में पूरी तरह टूट जा रहा है। डॉक्टरों की दवाई जहां पहले वायरल का असर तीन से चार दिन में खत्म हो जाता था। वहां अब असर छह से सात दिन तक रह रहा है। ऐसे में मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत है। वायरल होने पर डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवाएं बंद करें।
पहले डेंगू का शिकार हो चुके लोग ज्यादा सतर्कता बरतें
सैफई मेडिकल कॉलेज के मेडीसिन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुनील यादव ने बताया कि डेंगू इस समय पैर पसार रहा है। ऐसे में सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। सबसे ज्यादा सतर्क वह लोग रहें, जिन्हें पहले कभी डेंगू हो चुका है। क्योंकि यदि किसी व्यक्ति को पिछली साल या उससे पहले प्रथम चरण का डेंगू हुआ था और वह सही हो गया तो उसमें एंटी बॉडी बन गई होगी। ऐसे में वह पहले चरण के डेंगू से प्रभावित नहीं होगा। उसे दूसरे चरण का डेंगू प्रभावित करेगा। वहीं बताया कि डेंगू का मच्छर सूर्योदय से दो घंटे पहले और सूर्यास्त से दो घंटे पहले ही काटता है। ऐसे में इस समय में सभी को सबसे ज्यादा सतर्कता बरतनी चाहिए। बताया कि प्लेटलेट्स को लेकर भी लोगों में बड़ी भ्रम की स्थिति रहती है। बताया कि नेशनल वेक्टर डिसीज कंट्रोल के अनुसार ही यदि व्यक्ति की प्लेटलेट्स 20 हजार हैं और उसे कोई ब्लीडिंग नहीं हो रही है तो घबराने की बात नहीं है। समय पर उपचार मिलने पर प्लेटलेट्स कंट्रोल हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि बुखार आने पर सीधे डेंगू की जांच कराने की भी जरूरत नहीं है। सीबीसी और एसजीपीटी-एसजीओटी की जांच कराकर ही डेंगू के प्राथमिक लक्षणों का पता किया जा सकता है। तीस से पांच दिनों में दो बार जांच कराने पर यदि एसजीपीटी और एसजीओटी लगातार बढ़ी आ रही है तो डेंगू की आशंका बढ़ जाती है।
वायरल के लक्षण
जिला अस्पताल के फिजिशियन (एमडी) डॉ.अजय शर्मा ने बताया कि वायरल के लक्षणों में तेज बुखार आना, सिर, हाथ और पैरों में दर्द, कमजोरी महसूस होना है। सूखी खांसी या बलगम आना, जुकाम होना भी वायरल के लक्षण हैं। मारक क्षमता न के बराबर होती है।
डेंगू /मलेरिया के लक्षण
फिजिशियन (एमडी) डॉ.अजय शर्मा ने बताया कि डेंगू के लक्षण में सिरदर्द के साथ आंखों में दर्द होना। कमजोरी ज्यादा होना होता है। तेज बुखार, हाथ पैरों में दर्द। लेकिन डेंगू में खांसी, जुकाम के लक्षण कम होते हैं। डेंगू के मच्छर दिन में पनपते हैं। घर में कहीं पर भी पानी भरा न रखें। कूलर का पानी बदलते रहे ताकि एंटीलार्वा न हो। मलेरिया में सिरदर्द और तेज बुुखार इसके लक्षण होते हैं।
बच्चों का रखें विशेष ध्यान, बुखार तेज न होने दें
वरिष्ठ बाल रोग चिकित्सक डॉ.पीके गुप्ता ने बताया कि एक साल तक के बच्चों को तेज बुखार होने पर उन्हें सादे पानी से पोछते रहें, इससे की बुखार तेज न हो पाए। ऐसे मामलों में जल्द चिकित्सकीय सहायता लें।