ताखा। राममंदिर निर्माण के बाद अयोध्यापुरी विश्व पर्यटन नगरी के साथ ही अध्यात्म की कार्यशाला के तौर पर स्थापित होगी। अयोध्या की धार्मिकता संतों के मार्गदर्शन में आगे बढ़ रही हैं। भारत संतों का देश है। संतों की उपासना के प्रतिफल में ही भगवान का अवतार भारत की पवित्र भूमि पर सदैव होता रहा है। यह बात महामंडलेश्वर जनार्दन दास महाराज ने कही।

हिमाचल प्रदेश में संत सम्मेलन से अयोध्या लौट रहे तुलसीदास छावनी के महंत महामंडलेश्वर जनार्दन दास महाराज ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर स्वागत समारोह में कहा कि अयोध्यापुरी विश्व की प्रथम राजधानी थी। इसका इतिहास राम जी के प्रगट होने से लाखों वर्ष पुराना है। यह सप्तपुरियों में प्रथम है। राजनीतिक विद्वेष ने आजाद भारत में भी अयोध्यापुरी को द्वेषपूर्ण भावना से देखा, लेकिन अब राममंदिर निर्माण का सपना साकार होने के साथ अयोध्या का समूचा विकास अग्रसर है। आगामी दिनों में अयोध्यापुरी विश्व की पर्यटन नगरी बनेगी, जिससे लोग संस्कृति और संस्कारों के प्रति आदर भाव सीख सकेंगे।

अंतरराष्ट्रीय रामलीला मंचन से जुड़े संत पत्थर मंदिर के महंत मनीषदास जी महाराज ने कहा कि विश्वपटल पर रामलीलाओं के प्रति जनमानस की श्रद्धा बढ़ी है। उनके संयोजन में मुस्लिम देश संयुक्त अरब अमीरात में भी रामलीला का मंचन किया गया, साथ ही कनाडा और मॉरीशस सहित अनेक देशों में रामलीला का मंचन किया गया है। रामलीलाओं के माध्यम से प्राचीन लोककलाएं समाज में स्थापित है। इनके प्रति श्रद्धालुओं का सम्मान बना रहे इसके लिए रामलीला का मंचन विशुद्ध करने की आवश्यकता है। गौरव गुप्ता, शशांक मिश्रा, अनिल कौशल, जय गुप्ता, नरेंद्र कुमार, विवेक गुप्ता, संदीप पाल उपस्थित रहे।



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