इटावा। सफारी पार्क में अब भालू भाेलू की मौत हो गई है। सफारी प्रशासन ने भालू के क्रोनिक हेपेटाइटिस और टीबी से ग्रसित होने का दावा किया है। पोस्टमार्टम के लिए शव को मथुरा वेटनरी भेजा गया है। लगभग तीन माह में यह 10वीं मौत है।
नर भालू 6 मार्च 2017 को भगवान बिरसा मुंडा बायोलॉजिकल पार्क रांची झारखंड से नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान लखनऊ लाया गया था। वहां से तीन अप्रैल 2017 को इटावा सफारी पार्क लाया गया। यहां आने के बाद भालू क्रोनिक हेपेटाइटिस एवं टीबी से ग्रसित पाया गया था। सफारी प्रशासन के अनुसार, सितंबर 2017 में टीबी की जांच में पुन: पॉजीटिव पाया गया।
27 सितंबर से भोलू को खड़े होने में परेशानी होने लगी थी। उसके पीछे के पैर बेजान लग रहे थे। इस पर सफारी पार्क के पशु चिकित्सकों की विशेष निगरानी में रखकर इलाज किया था। सफारी की निदेशक दीक्षा भंडारी ने बताया कि गुरुवार सुबह पाया गया कि भालू अपने आगे के पैरों से भी चलने में असमर्थ है। उसके शरीर पर पैरालिसिस का असर था। सघन इलाज व निगरानी के बावजूद इस भालू की गुरुवार को दोपहर 12 बजे मौत हो गई थी।
सफारी में अब सिर्फ एक भालू बचा
सफारी पार्क में भालू सफारी भी बनाई गई है। इसमें शुरुआत में चार भालू लाए गए थे। लेकिन सफारी को पर्यटकों के लिए खोले जाने से पहले ही इनमें से एक नर भालू शंकर की मौत 24 दिसंबर 2017 को हो गई थी। 25 नवंबर 2019 को खुली भालू सफारी में पर्यटकों को तीन भालुओं के दीदार कराए गए थे। यह सिलसिला पिछले महीने तक चलता रहा, लेकिन 12 अगस्त को मादा भालू कुनी की मौत हो गई थी। अब भोलू की मौत के बाद सिर्फ एक ही भालू सफारी में बचा है।
तीन महीने में हो चुकीं सफारी में 10 संरक्षित वन्यजीवों की मौत
सफारी पार्क में जुलाई संरक्षित वन्यजीवों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। लगभग तीन माह में दस वन्यजीवों की मौत हो चुकी है। आठ जुलाई से लेकर 28 सितंबर तक शेरनी सोना के पांच शावक, रेस्क्यू करके लाए गए दो तेंदुओं, मादा भालू कुनी और नर भालू भोलू तथा अजगर के हमले से एक चीतल की मौत हो चुकी है।