संवाद न्यूज एजेंसी, इटावा
Updated Fri, 20 Oct 2023 12:50 AM IST
इटावा। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नीरज कुशवाहा ने 11 साल पुराने धोखाधड़ी व गबन के मामले में सुनवाई करते हुए बाल विकास परियोजना की वरिष्ठ सहायक स्टोर कीपर को सात साल की सजा सुनाई है। उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर उन्हें छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
एसपीओ उदय श्याम तिवारी व एपीओ आशुतोष सिंह ने बताया कि प्रभारी बाल विकास परियोजना अधिकारी बसरेहर मधुबाला सक्सेना ने इकदिल थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप लगाया था कि 19 जनवरी 2012 को डीएम से की गई शिकायत के आधार पर नायब तहसीलदार सदर की ओर से जांच की गई। लक्ष्मण कालोनी निवासी दिनेश बाबू के मकान पर छानबीन की गई तो पाया गया कि वहां पर प्रदेश सरकार की ओर छह साल के बच्चों को दिया जाने वाला पुष्टाहार रखा था।
बताया कि जब मकान मालिक से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि पुष्टाहार उसके मकान में सहायक स्टोर कीपर ज्योति तिवारी की ओर रखा गया है। जिला कार्यक्रम अधिकारी रंजना सिंह के भी छानबीन की। तब दिनेश ने बताया कि पुष्टाहार रखने के लिए ज्योति तिवारी उसे दस रुपये प्रति बोरी किराया देती थी। पुलिस ने मधुबाला की तहरीर के आधार पर ज्योति तिवारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। छानबीन के बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में पेश किए।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में हुई। एसपीओ व एपीओ की ओर से पेश किए साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर कोर्ट ने ज्योति तिवारी को दोषी पाया और सरकारी धन के गबन के आरोप में सात साल की सजा व 25 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।