बकेवर। इन दिनों वायरल की वजह से लोग जुकाम, खांसी और बुखार से परेशान हैं। इसके बावजूद 50 बेड के अस्पताल के चिकित्सक के रोजाना न आने से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का हाल यह है कि दिन छोड़कर आने से मरीजों को लौटना पड़ रहा है। जबकि शासन ने अस्पताल में 12 चिकित्सक तैनात किए हैं। फिर भी अस्पताल में तीन से चार चिकित्सक ही अपने कक्षों में नजर आते हैं। सीएमएस के नाेटिस का भी डॉक्टरों पर असर नहीं पड़ रहा है।

अस्पताल में रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या करीब दो सौ से तीन सौ रहती है। इलाज के लिए बकेवर ही नहीं बल्कि आसपास के करीब 10 से 15 किलोमीटर से मरीज उपचार के लिए लिए आते हैं। लेकिन जब वह यहां आते हैं तो अपने रोग से संबंधित चिकित्सक के मिलने से परेशान होने के बाद लौटना पड़ता है। गरीब तबके के मरीजों को जिला अस्पताल या फिर निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें आर्थिक परेशानी भी झेलनी पड़ती है।

शनिवार को 11:30 बजे अस्पताल पहुंच कर अस्पताल की पड़ताल करने के दौरान सीएमएस डॉ. वीरेंद्र भारती मिले। उनके अलावा चार चिकित्सक और थे, जो मरीज देख रहे थे। इनमें बाल रोग विशेषज्ञ व एक सर्जन के अलावा इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर और डेंटिस्ट शामिल थे। इनके अलावा कोई और डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं था।

अस्पताल में माइनर ओटी चालू हो गई है। लेकिन शासन से अस्पताल का आहरण वितरण (डीडीओ) कोड न आने की वजह से अस्पताल की इमरजेंसी सेवा चालू नहीं हो पा रही है। इस वजह से इस क्षेत्र के लोगों को 24 घंटे उपचार की सुविधा नहीं मिल पा रही है। अस्पताल में सीबीसी के तहत मरीजों की जांच की कोई सुविधा नहीं है। अभी अस्पताल में मात्र किट के सहारे ही मरीजों की डेंगू, वायरल, शुगर की जांच की जा रही है। रोजाना करीब 25 से 35 मरीजों की जांच होती है। सीबीसी जांच के लिए पत्र भेजकर मशीन व टेक्नीशियन की मांग की गई है।

वर्जन

चिकित्सकों को नियमित और समय पर आने के निर्देश कई बार दिए जा चुके हैं। नोटिस भी दिया जा रहा है। अस्पताल का डीडीओ कोड चालू न होने के कारण इमरजेंसी सेवा पूरी तरह चालू नहीं हो पा रही है। हालांकि माइनर ओटी व डे इमरजेंसी की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। -डॉ. वीरेंद्र भारती, सीएमएस



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