इटावा। चंद्रयान तीन के चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने की खुशिया मनाने वालों में शहर के वरिष्ठ वैज्ञानिक ओमकार नाथ वर्मा व उनका परिवार भी शामिल रहा। पुरबिया टोला निवासी ओमकार नाथ वर्मा इसरो में वैज्ञानिक रहे। वह 2007 में इनसेट उपग्रह प्रणाली के प्रमुख के पद से सेवानिवृत हुए।
उन्होंने इसरो के वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि उनके सामूहिक प्रयास से भारत का डंका पूरे विश्व में मच रहा है। आज हमारा देश चांद के उस हिस्से में पहुंच गया है, जहां दुनिया का कोई भी देश नहीं पहुंच सका है। ओमकार नाथ वर्मा बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे। वर्ष 1965-67 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीएससी करने के बाद 1967-70 के मध्य आईआईटी मद्रास से बीटेक किया। जिसमें ऑल इंडिया रैंक 29 आने पर इन्हें योग्यता छात्रवृत्ति प्रदान की गई। वर्ष 1970-72 के बीच में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमटेक की डिग्री ले एप्लाइड फिजिक्स विभाग में टॉप करने पर इन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1973 से लेकर 2007 तक इसरो में कार्यरत रहेकी। बताया कि जिस समय उनका चयन इसरो में वैज्ञानिक के रूप में हुआ था। उस समय इसरो अहमदाबाद में मात्र 32 वैज्ञानिक ही थे। शुरुआत में दिल्ली में अर्थ स्टेशन में प्रभारी इंजीनियर के रूप में कार्य किया। चार वर्षो के बाद इसरो अहमदाबाद में स्थानांतरित हो गए। उपग्रह नियंत्रण प्रशिक्षण के लिए सरकार के फंड से फ्रांस एवं जर्मनी गए। इन्होंने इनसेट उपगृह प्रणाली की श्रृंखला बनाई, जिसके जरिए देश में टीवी चैनल आदि देखा जाता है। जीएसएलवी राकेट के माध्यम से अंतरिक्ष में स्थापित किया गया। बीच में पीएंडटी अर्थ के लिए जालना महाराष्ट्र में स्वचलित सिग्नल स्विचिंग यूनिट भी इन्होंने बनाई। इसका उपयोग उपग्रह संचार के लिए किया जाता है। जहाज पर सिग्नल स्विचिंग ( बीम स्विचिंग यूनिट) भी इन्होंने बनाई। सार्क देशों के लिए उपयोग किए जाने वाला इनसेट (उपग्रह) जिसका उपयोग भारत, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव, श्रीलंका के अंतर्देशीय संचार आदान प्रदान के लिए किया जाता है। इसमें इन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।