बकेवर। कस्बे में इस समय संक्रामक रोग फैला है। ऐसे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग अस्पताल में दिखाने आते हैं। इनमें से अधिकांश मरीजों को सीबीसी की जांच नहीं होने से निजी लैबों पर करानी पड़ रही है। किट से डेंगू की जांच तो हो रही है पर सीबीसी की जांच न होने से मरीज परेशान होंगे। वहीं इमरजेंसी में भी सिर्फ दो मरीज होने से मरीज परेशान हो रहे हैं।

शासन ने जून महीने में इस 50 बेड अस्पताल में एक सीएमएस डॉ. वीरेंद्र भारती, वरिष्ठ परामर्श दाता डॉ. संदीप गुलाटी व 11 चिकित्सकों जिसमें महिला,आंख, हड्डी, दंत, रोग विशेषज्ञ व सर्जन के अलावा तीन ईएमओ इमरजेंसी मेडिकल डॉक्टर व 11 पैरामेडीकल स्टाफ की नियुक्ति की थी। इसमें से लगभग सभी कार्यभार ग्रहण कर लिया है, लेकिन तैनात किए गए चिकित्सकों के नियमित रूप से अस्पताल न आने से उपचार के लिए के लिए आने वाले को समुचित उपचार नहीं मिल पा रहा है।

कुछ चिकित्सक तो सप्ताह में मात्र दो या तीन दिन ही आते हैं। यहीं अस्पताल में उपचार के लिए आने वाले मरीजों डेंगू, मलेरिया, हीमोग्लोबिन, सुगर, रोग के लिए खून की जांच मात्र किट से हो रही है। हर रोज लगभग 40 से 50 मरीजों की खून की जांच होती है। अभी तक एक भी मरीज डेंगू पॉजिटिव जांच में नही निकला है।

शासन से तैनात किए गए तीन ईएमओ इमरजेंसी मेडिकल डॉक्टर में से एक आगरा से आए ईएमओ रविंद्र भदौरिया को शासन से अल्ट्रासाउंड ट्रेनिंग के लिए छह माह के लिए सितंबर माह में ही अटैच कर दिया गया। इससे 50 बेड में मात्र दो इमरजेंसी मेडिकल चिकित्सक डॉ. सतेंद्र साहू, डॉ. रविन्द्र साहू ही हैं। जो कन्नौज जनपद से आते हैं। अस्पताल में 24 घंटे की इमरजेंसी सेवा शुरू नहीं हो सकी है। सीएमएस डॉ. वीरेंद्र भारती का कहना है कि अस्पताल में तैनात चिकित्सकों को नियमित रूप से समय अस्पताल आकर ड्यूटी करने के निर्देश दिए जा रहे हैं। चेतावनी भी दी गई है अनुपस्थित रहने वाले चिकित्सकों से जवाब भी मांगा गया है। यहां के कुछ चिकित्सक की पोस्टमार्टम में ड्यूटी लग जाती है। अस्पताल में दो और इमरजेंसी मेडिकल चिकित्सक की तैनाती करने को पत्र शासन को भेजा जा रहा है। डीडीओ कोड जारी न होने के कारण समस्याएं आ रही हैं।



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