बकेवर। 50 शैया अस्पताल में पीने के पानी की व्यवस्था न होने के कारण मरीज को ही नहीं बल्कि अस्पताल में तैनात चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ को भी इधर-उधर भटकना पड़ता है। अस्पताल के कई कमरों में बने बाथरूम व शौचालय में वाटर की सप्लाई न होने से ड्यूटी के दौरान स्टाफ को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

50 शैया अस्पताल का निर्माण हुए कई साल हो गए हैं। अस्पताल में ओपीडी शुरू हुए चार साल हो चुके हैं। अब शासन की ओर से 11 चिकित्सकों व 11 पैरामेडिकल स्टाफ को भी दो माह पहले तैनात किया गया है। अस्पताल में हर रोज तकरीबन तीन सौ मरीज दूरदराज क्षेत्र से उपचार के लिए आते हैं, लेकिन उमस भरी गर्मी में पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं होने से मरीज और उनके तीमारदारों को भटकना पड़ता है।

अधिकांश चिकित्सक व पैरामेडिकल स्टाफ अपने साथ पानी की बोतल लेकर आते हैं, लेकिन भीषण गर्मी के चलते मात्र कुछ घंटों में ही पानी खत्म होने से उन्हें भी परेशानी झेलनी पड़ती है। मरीज और तीमारदार अस्पताल के बाहर बनी दुकानों से पानी खरीदकर पीने को मजबूर हैं। 50 शैया अस्पताल में कई चिकित्सकों के कक्षों में बने वॉशरूम व शौचालयों में भी पानी की आपूर्ति नहीं हो रही है। इसके कारण अस्पताल में तैनात डॉक्टरों व चिकित्सकीय स्टाफ को ड्यूटी के दौरान लघुशंका आदि लगने की स्थिति में इधर-उधर भागना पड़ता है। अस्पताल की छत पर लगी पानी की टंकी को बंदरों ने क्षतिग्रस्त कर रखा है।

मरीजों व तीमारदारों की बात

50 शैया अस्पताल में उपचार कराने आए बोझा गांव निवासी रामजीवन ने बताया कि वह अपनी पत्नी के पैर में लगी चोट का उपचार कराने आए थे। दवा मिलने पर खिलाने के लिए तथा खुद प्यास लगने पर काफी देर तक इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन अस्पताल में पानी की कोई व्यवस्था नहीं मिली। ग्राम चंद्रपुरा निवासी उदय वीर सिंह ने बताया कि अस्पताल में उपचार कराने आए प्यास लगने पर पानी की तलाश में इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन अस्पताल में पानी के पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बाहर से बोतल खरीदकर प्यास बुझाई है। इतने बड़े अस्पताल में पानी की व्यवस्था न होना ताज्जुब की बात है। 15 किलोमीटर दूर बीहड़ी गांव नबादा से अपने पिता का उपचार कराने आईं गुड्डी देवी ने बताया कि जवान भाई की दो माह पहले दुर्घटना में मौत हो जाने से पिता के बीमाहोने पर उन्हें इलाज के लिए लाई थीं। परंतु अस्पताल में प्यास लगने पर इधर-उधर भटकते रहे पर पेयजल की व्यवस्था उन्हें नहीं दिखी।

वर्जन

अस्पताल का आहरण वितरण कोड शासन से अभी तक जारी न हो पाने के कारण बजट न होने से समस्या आ रही है। कोड जारी होते ही तत्काल व्यवस्था कराई जाएगी। पीने के पानी का एक कैंपर रोजाना स्टाफ के लिए अपने स्तर से मंगवा रहे हैं। कुछ कक्षों में रनिंग वाटर की समस्या बंदरों के पानी की टंकी क्षतिग्रस्त कर देने से बाधित हो गया है। इसको जल्द ही दुरुस्त कराया जा रहा है। -डॉ. वीरेंद्र भारती, सीएमएस, 50 शैया अस्पताल।



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