संवाद न्यूज एजेंसी, आगरा

Updated Tue, 13 Aug 2024 03:31 AM IST

Excavation threatens the remains of ancient civilization

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कासगंज। ऐतिहासिक और पौराणिक संपदाओं की विरासत सहेजने वाले इस जिले की सदर तहसील क्षेत्र में जखेरा महेशपुर गांव के टीलों में पांच हजार वर्ष पुरानी सभ्यता दफन है। भगवान महात्मा बुद्ध के समकालीन मानी जाने वाली इस सभ्यता पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के द्वारा वर्षों से शोध किया जा रहा है। टीले से मिट्टी का उत्खनन नहीं किया जाता, लेकिन 530बी राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए 5000 वर्ष पुरानी सभ्यता के टीले से बुलडोजर से मिट्टी का उत्खनन किया जा रहा है। इसके लिए कई जेसीबी लगाई गई हैं। इस उत्खनन में टीले की दीवारें निकल रहीं हैं व अन्य प्राचीन वस्तुएं भी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर व पुराविद् एमके पुंढीर से जखेरा महेशपुर के इस प्राचीन टीले के बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि यह ताम्र युग का टीला है। जो गेरूआ मृदभांड़ संस्कृति की धरोहर है। इस टीले में यह पूरी संस्कृति दबी हुई है। इस टीले में लौह युग की सभ्यता के भी अनेकों प्रमाण मिले हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रहे पुराविद् एमडीएन शाही ने इस टीले पर काफी शोध किया है। इस टीले पर एएमयू के छात्रों ने भी आकर कई बार पुराविदों की देखरेख में खुदाई कर ताम्र युग व लौह युग की निशानियां खेरे से बरामद की हैं जो आज भी एएमयू में संरक्षित है। ऐसी प्राचीन सभ्यता के टीले से मिट्टी का खनन करना प्राचीन सभ्यता को मिटाने का कुत्सित प्रयास है। इस टीले में प्राचीन संस्कृति की विरासतें उत्खनन से बर्बाद हो रही है।

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