Land around Jewar airport is expensive, fraudsters are ready to cheat

यमुना एक्सप्रेस वे
– फोटो : संवाद

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अलीगढ़ के टप्पल से 23 किमी, लगभग 40 मिनट की दूरी पर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है। जिससे यमुना एक्सप्रेस वे और अलीगढ़ पलवल हाईवे से सटती टप्पल और खैर की जमीनों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं। आलम यह है कि बीते साल के मुकाबले जमीनों की कीमत लगभग 30 से 40 फीसदी तक बढ़ चुकी है।

 

यमुना एक्सप्रेस वे और अलीगढ़ पलवल हाईवे से सटती जमीनें सोना उगल रही हैं। इसलिए अलीगढ़, दिल्ली और नोएडा से जुड़े कुछ भू माफिया लोगों को फर्जी नक्शा दिखाकर लाखों रुपये का चूना लगा रहे हैं। फर्जी कॉलोनियों में जमीन का बैनामा करा कर दाखिल खारिज कराने तहसील आ रहे खरीदारों के सामने सच्चाई आई तो उनके होश उड़ गए। अब पीड़ित खरीदार जमीन दिलाने वालों को तलाश रहे हैं तो खुद को बिल्डर बताने वाले लोग मुंह फेर रहे हैं। जिम्मेदार अधिकारी प्रकरण से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।

अलीगढ़-पलवल रोड

अलीगढ़-पलवल हाईवे पर तेजी से बढ़ती जमीनों की कीमत

जेवर एयरपोर्ट का इलाका टप्पल से सटा हुआ है। इसके आसपास होटल, रेस्टोरेंट, आईटी कंपनियां, ट्रांसपोर्ट की सुविधाएं बढ़ रही हैं। अलीगढ़-पलवल हाईवे पर जमीन मिलना मुश्किल हो गया हैं। इसी हाईवे पर राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्व विद्यालय, ट्रांसपोर्ट नगर, डिफेंस कॉरिडोर आदि का निर्माण कार्य जारी है। एडीए की ओर से ग्रेटर अलीगढ़ आवासीय योजना शुरू हो रही है। जिससे दिल्ली-एनसीआर के लोग यहां जमीन खरीद रहे हैं। सड़क किनारे की जमीनें सर्किल रेट के दोगुने-तिगुने दामों तक में बिक रही है। बीते दो साल में जमीन लगभग 40 फीसदी तक ज्यादा महंगी हो गई है। डिफेंस कॉरिडोर के आसपास की जमीनों की बिना एनओसी बिक्री पर रोक है। 

प्रशासन की सख्ती से लगा था अंकुश

टप्पल के किसान नेताओं की शिकायत पर प्रशासन ने 25 नवंबर 2022 को तत्कालीन एसडीएम अनिल कटियार के नेतृत्व में राजस्व टीम से जमीनों के फर्जीवाड़े की जांच कराई। जिसमें खुलासा हुआ कि दिल्ली और नोएडा के भू-माफिया ने ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा कर वहां अवैध रूप से कॉलोनी बनाते हुए महंगे दामों में प्लॉट बेच डाले। इसमें खैर से जुड़े दलालों की भी भूमिका थी। इसमें कई बिल्डरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। टप्पल के ही लालपुर एवं आसपास के गांवों की करीब 560 बीघा भूमि पर भी कुछ भू- माफिया ने अवैध कब्जा कर लिया था। जिसे अब राजस्व अभिलेखों में ग्राम पंचायत की जगह के रूप में दर्ज किया गया है। 



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