यूपी सरकार अमेरिकी टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले क्षेत्रों की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार करा रही है। कानपुर, उन्नाव, आगरा, बनारस, मुरादाबाद, भदोही, नोएडा, अलीगढ़, गाजियाबाद, अमरोहा और संभल सहित सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले जिलों में वरिष्ठ अधिकारी जाकर टैरिफ के असर की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।

माना जा रहा है कि इस आधार पर टैरिफ संकट का हल निकलने तक सरकार निर्यातकों को तीन से चार महीने का राहत पैकेज दे सकती है। निर्यातकों से मिले फीडबैक के मुताबिक, अमेरिका की ओर से लगाए गए पहले के 25 फीसदी टैरिफ से इतनी परेशानी नहीं थी, लेकिन अतिरिक्त 25 फीसदी शुल्क ने संकट बढ़ा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, निर्यातकों ने मांग की है कि कुल 50 फीसदी में से 15 फीसदी की राहत सरकार से मिल जाए, तो अमेरिकी बाजार में टिके रहना संभव होगा। माना जा रहा है कि सरकार जल्द 13 फीसदी तक की राहत दे सकती है। तीन से चार महीने तक के राहत पैकेज से राज्य सरकार के खजाने पर करीब 400 से 500 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
इन मोर्चे पर राहत मिलने की उम्मीद
अधिकारियों की ग्राउंड रिपोर्टिंग के बाद तैयार फाइनल रिपोर्ट के आधार पर कई मोर्चों पर निर्यातकों और खासकर श्रम आधारित उद्योगों को छूट दी जा सकती है।
- ईएसआई और फंड के रूप में निर्यातकों का अंशदान कम हो सकता है।
- बैंकों से लिए गए कर्ज पर तीन फीसदी तक सब्सिडी मिल सकती है।
- एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (ईसीजीसी) में निर्यातकों के अंशदान के एक हिस्से पर सब्सिडी मिल सकती है।
- ड्यूटी ड्रा बैक की सीमा बढ़ाई जा सकती है। पहले इस मद में अलग-अलग श्रेणियों में 6 फीसदी तक लाभ मिलता था, जो वर्तमान में घटकर अधिकतम एक फीसदी रह गया है। इसे बढ़ाया जा सकता है।
- अमेरिका को 35,000 करोड़ से ज्यादा निर्यात : यूपी से अमेरिका को हर साल 35,000 करोड़ से ज्यादा का निर्यात होता है। इसमें बड़ा हिस्सा कालीन, कपड़ा, फुटवियर और हस्तशिल्प का है। इनसे 30 लाख से ज्यादा कारीगर जुड़े हैं।