बीते कुछ समय से बागी चल रहीं सपा की विधायक पूजा पाल को गुरुवार को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था। उस समय सदन में मानसून सत्र चल रहा था। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग के बाद से ही उनके स्वर पार्टी के खिलाफ थे। फिर सदन में उन्होंने सीएम योगी की तारीफ की थी।

 सपा ने उनके निष्कासन पर जो पत्र जारी किया उसमें उन्हें सुश्री कहकर संबोधित किया है। इस पर सपा के एक और बागी विधायक और जून में पार्टी से निष्कासित किए गए विधायक राकेश प्रताप सिंह ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि सभी जानते हैं कि पूजा पाल विधवा हैं। इस तरह से उनको सुश्री लिखना उनका अपमान करने जैसा है। उन्होंने कहा कि सपा का पीडीए अब ‘पिछड़ा-दलित अपमान’ का प्रतीक बन गया है।

उन्होंने लिखा कि एक विवाहिता महिला के नाम आगे सुश्री लगाकर उत्तर प्रदेश की आधी आबादी मातृशक्तियों को अपमानित करने का काम किया है। यह समाजवादी पार्टी की राजनीतिक बेशर्मी की पराकाष्ठा है। उन्होंने साबित कर दिया कि उनके लिए अतीक जैसे मुस्लिम माफिया का सम्मान, एक पिछड़ी जाति की विधवा बेटी के आँसुओं और न्याय की गुहार से कहीं ज़्यादा कीमती है। उन्होंने कहा कि हम प्रभु श्री राम से प्रार्थना करते हैं कि श्री अखिलेश यादव जी को सदबुद्धि दें, हालांकि अब शायद बहुत देर हो चुकी है।

पूजा पाल ने की थी सीएम योगी की तारीफ 

कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी विधायक पूजा पाल को आखिरकार पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। पिछले साल राज्यसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा के पक्ष में वोटिंग की थी। उस समय से अब तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। विधायक और हाईकमान के बीच तल्खियां तो काफी दिन से चली आ रही थीं। लेकिन बृहस्पतिवार को जब विधायक पूजा पाल ने सदन में खुलकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ की तो सपा अध्यक्ष ने निष्कासन पत्र भिजवा दिया। 

जून में पार्टी से निकाले जा चुके हैं राकेश प्रताप 

जून में समाजवादी पार्टी (सपा) ने तीन विधायकों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। सपा ने तीन विधायकों को पार्टी से निकाल दिया था। पार्टी ने विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और मनोज कुमार पांडेय पर कार्रवाई की थी।  उस समय सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करते हुए समाजवादी पार्टी ने जानकारी दी थी कि विधायक अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह और मनोज कुमार पांडेय को “उनकी सांप्रदायिक विभाजनकारी नकारात्मकता और किसान विरोधी, महिला विरोधी, युवा विरोधी, कारोबारी विरोधी , नौकरीपेशा विरोधी और ‘पीडीए विरोधी’ विचारधारा का समर्थन करने के कारण” निष्कासित कर दिया।

 



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